सूरजपुर जिला चिकित्सालय में 83 लाख का ऑक्सीजन संयंत्र घोटाला: पूर्व CMHO सहित पांच पर FIR, स्वास्थ्य विभाग में हड़कंप

सूरजपुर जिला चिकित्सालय में 83 लाख का ऑक्सीजन संयंत्र घोटाला: पूर्व CMHO सहित पांच पर FIR, स्वास्थ्य विभाग में हड़कंप

सूरजपुर, 11 मई 2025: छत्तीसगढ़ के सूरजपुर जिला चिकित्सालय, जो पहले भी आर्थिक अनियमितताओं और घोटालों का अड्डा रहा है, एक बार फिर शर्मसार हुआ है। इस बार केंद्रीयकृत ऑक्सीजन संयंत्र (MGPS) की स्थापना के नाम पर 83.21 लाख रुपये के गबन का सनसनीखेज मामला सामने आया है। इस घोटाले में तत्कालीन मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी (CMHO) डॉ. रन साय सिंह सहित पांच लोगों के खिलाफ कोतवाली पुलिस ने धोखाधड़ी, फर्जीवाड़ा और आपराधिक षड्यंत्र की धाराओं (IPC 420, 419, 467, 468, 471, 120B) के तहत मामला दर्ज किया है। यह घोटाला न केवल स्वास्थ्य विभाग की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाता है, बल्कि यह भी संकेत देता है कि गहन जांच हो तो और कई काले कारनामे सामने आ सकते हैं।

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घोटाले का खुलासा: मिलते-जुलते नाम की फर्म को भुगतान

रायपुर की यूनिक इंडिया कंपनी के संचालक जयंत चौधरी ने सरगुजा रेंज के पुलिस महानिरीक्षक से शिकायत कर इस घोटाले की परतें खोलीं। चौधरी के अनुसार, 13 सितंबर 2021 को उनकी कंपनी को GEM ऑनलाइन पोर्टल के माध्यम से सूरजपुर जिला चिकित्सालय में मेडिकल गैस पाइपलाइन सिस्टम (MGPS) स्थापित करने के लिए 83.21 लाख रुपये का कार्यादेश मिला। उन्होंने समय पर काम पूरा कर सामग्री अस्पताल को भेज दी, लेकिन भुगतान के लिए उन्हें महीनों तक टरकाया गया। 

जब चौधरी ने नए CMHO डॉ. कपिल देव पैकरा से संपर्क किया, तो चौंकाने वाला सच सामने आया। पता चला कि उनके कांट्रेक्ट की पूरी राशि—50 लाख रुपये 5 जनवरी 2022 को और 31.85 लाख रुपये 31 जनवरी 2022 को—दंतेवाड़ा की एक अन्य फर्म, यूनिक इंडिया, को भुगतान कर दी गई। इस फर्म का संचालक आशीष कुमार बोस है, और इसका नाम रायपुर की यूनिक इंडिया से मिलता-जुलता है। सबसे गंभीर बात यह कि दंतेवाड़ा की यह फर्म 8 दिसंबर 2021 को पंजीकृत हुई थी, जब तक संयंत्र का काम पूरा हो चुका था। फिर भी, इसे भुगतान कैसे और क्यों किया गया? 

साजिश की परतें: पूर्व CMHO और कर्मचारियों की मिलीभगत

पुलिस जांच में सामने आया कि तत्कालीन CMHO डॉ. रन साय सिंह ने अपने अधीनस्थ कर्मचारियों—सेवानिवृत्त लेखापाल विजय सिन्हा, लिपिक सहायक जेम्स कुजूर, फार्मासिस्ट सहायक सकिरन दास—और दंतेवाड़ा की फर्जी फर्म के संचालक आशीष कुमार बोस के साथ मिलकर इस गबन को अंजाम दिया। आरोपियों ने जानबूझकर मिलते-जुलते नाम वाली फर्म को भुगतान कर सरकारी खजाने को चूना लगाया। यह सवाल उठता है कि क्या यह महज लापरवाही थी, या सुनियोजित आपराधिक साजिश? 

जयंत चौधरी ने बताया कि भुगतान के लिए वे बार-बार CMHO कार्यालय के चक्कर काटते रहे, लेकिन उन्हें टालमटोल के सिवा कुछ नहीं मिला। जब उन्होंने ऑनलाइन पोर्टल पर कांट्रेक्ट निरस्त करने का आवेदन दिया, तो पता चला कि काम "पूरा" हो चुका है और राशि का भुगतान भी हो गया। यह खुलासा स्वास्थ्य विभाग में व्याप्त भ्रष्टाचार की गहरी जड़ों को उजागर करता है।

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 पहले भी घोटालों का गढ़ रहा है सूरजपुर जिला चिकित्सालय

सूरजपुर जिला चिकित्सालय का इतिहास घोटालों से भरा पड़ा है। दवाइयों की खरीद, चिकित्सा उपकरणों की आपूर्ति, और अन्य कार्यों में अनियमितताओं के आरोप पहले भी लगते रहे हैं। स्थानीय लोग और सामाजिक कार्यकर्ता लंबे समय से मांग कर रहे हैं कि पूर्व CMHO के कार्यकाल में हुए सभी क्रय-विक्रय की सूक्ष्म जांच की जाए। इस ताजा घोटाले ने उनकी मांग को और बल दिया है। 

सवाल यह है कि जब अस्पताल में ऑक्सीजन जैसी जीवनरक्षक सुविधा के लिए फंड का दुरुपयोग हो रहा था, तब जिम्मेदार अधिकारी क्या कर रहे थे? क्या यह सिर्फ एक गलती थी, या सिस्टम में बैठे भ्रष्ट तत्वों की गहरी साजिश? 

 पुलिस जांच शुरू, लेकिन क्या होगा इंसाफ ?

सरगुजा रेंज के पुलिस महानिरीक्षक के निर्देश पर कोतवाली पुलिस ने मामले की जांच शुरू कर दी है। सूरजपुर TI ने बताया कि अपराध दर्ज कर लिया गया है, और जांच चल रही है। लेकिन सवाल यह है कि क्या यह जांच सिर्फ कागजी कार्रवाई तक सीमित रहेगी, या वास्तव में दोषियों को सजा मिलेगी? 

भ्रष्टाचार पर लगाम कब?

यह घोटाला उस समय सामने आया है, जब स्वास्थ्य सेवाओं की बदहाली पहले ही आम जनता के लिए मुसीबत बनी हुई है। स्थानीय निवासियों में गुस्सा है कि उनके टैक्स के पैसे का दुरुपयोग इस तरह हो रहा है। सामाजिक कार्यकर्ताओं ने मांग की है कि डॉ. रन साय सिंह के कार्यकाल के सभी कार्यों की CBI जांच हो, ताकि अन्य संभावित घोटालों का भी पर्दाफाश हो सके। 

सूरजपुर जिला चिकित्सालय का यह घोटाला स्वास्थ्य विभाग में व्याप्त भ्रष्टाचार का केवल एक नमूना है। जब ऑक्सीजन जैसे महत्वपूर्ण संसाधन के लिए आवंटित धन का गबन हो रहा हो, तो आम जनता के स्वास्थ्य के साथ कितना बड़ा खिलवाड़ हो रहा है, इसका अंदाजा लगाया जा सकता है। सरकार को चाहिए कि इस मामले की निष्पक्ष और गहन जांच कराए, दोषियों को कड़ी सजा दे, और भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए कड़े कदम उठाए। ।








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