मशहूर उर्दू शायर और कई हिंदी फिल्मों में गीत लिखने वाले मजरूह सुल्तानपुरी एक बार फिर से चर्चाओं में हैं। इस बार उन्हें चर्चा में लाने के पीछे भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के सांसदों द्वारा गुरुवार को लिखी गई चिट्ठी है, जिसमें देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू का जिक्र करते हुए कांग्रेस नेता राहुल गांधी पर हमला बोला गया है। बीजेपी सांसदों राज्यवर्धन सिंह राठौर, परवेश साहिब सिंह और पूनम महाजन की ओर से लिखे गए लेटर में कहा गया है कि नेहरू जी तो मशहूर कवि मजरूह सुल्तानपुरी को भी नफरत का निशाना बनाने से नहीं चूके थे। उन्हें सिर्फ इसलिए जेल कटवाई गई, क्योंकि उन्होंने पंडित नेहरू को कॉमनवेल्थ का दास और हिटलर कह दिया था। इसके बाद बीजेपी ने मजरूह की कविता की उन पंक्तियों का भी जिक्र किया, जिसे उर्दू शायर ने तत्कालीन बंबई में मजदूरों की हड़ताल के दौरान पढ़ा था।
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क्या है वह पूरा किस्सा, जब मजरूह को जाना पड़ा था जेल
शायर सुल्तानपुरी का जन्म 1919 में असरार उल हसन खान के रूप में हुआ था। उनके पिता ने उन्हें पढ़ाई के लिए एक मदरसे में भेज दिया, जहां उन्होंने अरबी और फ़ारसी के साथ दर्स-ए-निज़ामी का सात साल का कोर्स पूरा किया। उन्होंने यूनानी चिकित्सा का अध्ययन किया। इसी दौरान उनके गृहनगर में हुए एक मुशायरे में उनके कविता पाठ की बहुत सराहना की गई। वे प्रसिद्ध उर्दू कवि जिगर मुरादाबादी के शागिर्द बन गए। वही उन्हें हिंदी फिल्मों के लिए गीत लिखने के लिए मुंबई ले आए। देश को आजादी मिले अभी चंद ही साल हुए थे कि बंबई में मजदूरों क एक बड़ी हड़ताल हुई, जिसमें मजरूह भी शामिल हुए।
उस हड़ताल में मजरूह सुल्तानपुरी ने ऐसी कविता पढ़ दी, जिसके बाद तत्कालीन गवर्नर मोरारजी देसाई ने मजरूह को मुंबई की ऑर्थर रोड जेल में भेज दिया। उनके साथ मशहूर अभिनेता बलराज साहनी और कई अन्य को भी जेल भेज दिया गया। कहा जाता है कि उनकी कविता ने पंडित नेहरू समेत तमाम नेताओं को असहज कर दिया था। कमलेश कपूर की किताब 'पार्टिशिन: द लिगेसी ऑफ एमके गांधी' में पूरे किस्से का जिक्र है। किताब में वे लिखते हैं कि हड़ताल में कविता पढ़ने के बाद मजरूह सुल्तानपुरी को दो साल के लिए जेल में डाल दिया गया। उनसे माफी मांगने की भी शर्त रखी गई, जिसे मानने से उन्होंने इनकार कर दिया था। इस वजह से उन्हें दो सालों तक जेल में ही रहना पड़ा। हालांकि, जेल में बंद रहने के बावजूद भी मजरूह सुल्तानपुरी ने कई फिल्मों के गीत लिखे, जोकि काफी हिट रहे।
कौन सी पढ़ी थी मजरूह सुल्तानपुरी ने कविता
मन में ज़हर डॉलर के बसा के,
फिरती है भारत की अहिंसा।
खादी की केंचुल को पहनकर,
ये केंचुल लहराने न पाए।
ये भी है हिटलर का चेला,
मार लो साथी जाने न पाए।
कॉमनवेल्थ का दास है नेहरू,
मार लो साथी जाने न पाए।
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मिला दादा साहेब फाल्के अवॉर्ड
मजरूह सुल्तानपुरी ने दशकों तक राज किया। उन्होंने लगभग पचास से अधिक वर्षों तक हिंदी फिल्मों के लिए गीत लिखे। सीआईडी, नौ-दो ग्यारह, काला पानी, तुम सा नहीं देखा आदि जैसी फिल्मों में उनके गीत काफी लोकप्रिय हुए। साल 1994 में फिल्म जगत के सर्वोच्च सम्मान दादा साहेब फाल्के पुरस्कार से भी मजरूह सुल्तानपुरी को सम्मानित किया गया। 24 मई साल 2000 में लंबी बीमारी से जूझने के बाद उनका निधन हो गया। उन्होंने तकरीबन 250 से ज्यादा फिल्मों के लिए गाने लिखे हैं और उनके द्वारा लिखे गए गीतों को अब भी लोग गुनगुनाते हुए मिल जाते हैं।
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