बजरमुड़ा भूअर्जन घोटाला : कलेक्टर ने सात  लोगों के खिलाफ दिए एफआईआर के आदेश

बजरमुड़ा भूअर्जन घोटाला : कलेक्टर ने सात लोगों के खिलाफ दिए एफआईआर के आदेश

रायगढ़  : बजरमुड़ा भूअर्जन घोटाले में कलेक्टर ने सात जिम्मेदारों के विरुद्ध एफआईआर के आदेश दिए हैं। इसके पहले अवार्ड पत्रक के अनुसार प्रत्येक खातेदार की संपत्ति का पुनर्मूल्यांकन होना है। पुनर्गणना के जरिए यह देखा जाएगा कि सरकार को कितनी हानि हुई। केवल बजरमुड़ा में गबन का आंकड़ा 350 करोड़ हो सकता है। बजरमुड़ा गांव छग का सबसे महंगा गांव है। तभी तो यहां की 170 हे. भूमि का मुआवजा 415 करोड़ पहुंच गया। रायगढ़ जिले में लारा कांड के बाद यह सबसे बड़ा सुनियोजित घपला है। सरकारी कंपनी सीएसपीजीसीएल को करोड़ों की हानि पहुंचाई गई। संपत्तियों का गलत मूल्यांकन करने के कारण अरबों रुपए का मुआवजा देना पड़ा।

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असिंचित भूमि को सिंचित बताकर, पेड़ों की संख्या ज्यादा दिखाकर, टिन शेड को पक्का निर्माण बताकर, बरामदे, कुएं, पोल्ट्री फार्म आदि का मनमानी मुआवजा आकलन किया गया। एफआईआर कराने से पूर्व एसडीएम  घरघोड़ा को पुनर्गणना करवानी है। इसमें देखा जा रहा है कि जिस संपत्ति के लिए मुआवजा दिया गया, वह सर्वे के समय मौजूद था या नहीं। जांच टीम ने करीब 25 बड़े खातेदारों की जांच की थी। बजरमुड़ा में तकरीबन सभी जमीनों पर ऐसा ही किया गया है। पुनर्गणना एक तरह का ऑडिट रिपोर्ट होगा, जिसके जरिए पुलिस को यह बताया जाएगा कि घोटाले में सरकार को कितना नुकसान हुआ। टीम बनाकर जांच की जा रही है लेकिन यह कब तक पूरी होगी, पता नहीं। कहा जा रहा है कि पहले चरण में 121 हे. भूमि की जांच की गई है, लेकिन परिसंपत्तियों की जांच शुरू नहीं हुई है। 

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गारे पेलमा सेक्टर 3 कोल ब्लॉक के लिए मिलूपारा, करवाही, खम्हरिया, ढोलनारा और बजरमुड़ा में 449.166 हे. पर लीज स्वीकृत की गई। इसमें लीज क्षेत्र के अंतर्गत 362.719 हे. और बाहर 38.623 हे. भूमि पर सरफेस राइट के तहत भूअर्जन किया गया। 22 जनवरी 2021 को अवार्ड पारित किया गया। केवल बजरमुड़ा के 170 हे. भूमि पर 478.68 करोड़ का मुआवजा पारित किया गया। सीएसपीजीसीएल ने अवॉर्ड राशि पर आपत्ति जताई तो मुआवजा 415.69 करोड़ हो गया। इतनी बड़ी रकम जारी करते समय सीएसपीजीसीएल के अफसरों ने जांच क्यों नहीं की। जानबूझकर कंपनी ने राशि जारी की। 

सरकार ने घोटाले के लिए जिम्मेदार तत्कालीन एसडीएम अशोक कुमार मार्बल, तहसीलदार बंदेराम भगत, आरआई मूलचंद कुर्रे, पटवारी जितेंद्र पन्ना, पीडब्ल्यूडी सब इंजीनियर धर्मेंद्र त्रिपाठी, वरिष्ठ उद्यानिकी अधिकारी संजय भगत और बीटगार्ड रामसेवक महंत के विरुद्ध एफआईआर दर्ज करने का आदेश दिया है। जांच के आदेश करने में एक साल से अधिक समय लगा दिया गया। उसके बाद एफआईआर का आदेश करने में डेढ़ साल लग गए। एफआईआर में कितना समय लगेगा पता नहीं।

 









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