सफलता की कहानी : डबरी के पानी से किसान के खेतों में आई हरियाली,बहुफसलीय खेती का ले रहे लाभ

सफलता की कहानी : डबरी के पानी से किसान के खेतों में आई हरियाली,बहुफसलीय खेती का ले रहे लाभ

जशपुरनगर : फरसाबहार विकासखण्ड मुख्यालय से 8 किमी. दूरस्थ स्थित ग्राम पंचायत हेटघींचा के धनुर्जय यादव ने कृषि कार्यो में सहयोग एवं सिंचाई के उद्देश्य से महात्मा गांधी नरेगा अंतर्गत गाँव में अन्य लोगों द्वारा लिए जा रहे लाभ को देखकर डबरी निर्माण कार्य स्वीकृत कराने की ठानी।ग्रामीण ईलाका होने के कारण यहां के ग्रामीण मुख्य रूप से कृषि कार्य पर ही निर्भर रहते हैं।

जब हितग्राही को मनरेगा योजना अंतर्गत डबरी निर्माण की जानकारी प्राप्त हुई तो वे इस योजना से डबरी निर्माण कार्य हेतु अपने ग्राम पंचायत में निर्माण एजेंसी सरपंच, सचिव और रोजगार सहायक से संपर्क कर डबरी निर्माण हेतु प्रस्ताव दिया। जिस पर उन्हे लागत राशि रू. 2.97 लाख कि स्वीकृति प्राप्त हुई।

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हितग्राही धनुर्जय ने बताया की कृषि ही उनका मूल पेशा है एवं जीवन यापन के लिये मुख्य रूप से उनका परिवार को कृषि पर ही निर्भर रहना पड़ता है। चूंकि वर्तमान समय में कृषि कार्य हेतु पानी की उपलब्धता पर्याप्त मात्रा में नहीं होने के कारण अक्सर फसल पर सुखे का प्रभाव पड़ने लगता था। इस समस्या से निपटने के लिए उन्हे डबरी निर्माण की आवश्यकता महसूस हुई जिसे उन्होंने मनरेगा से प्राप्त किया।

उन्होंने ने बताया कि डबरी निर्माण कार्य में कोई कठिनाई तो नहीं आई किन्तु हितग्राही के मन में कार्य को लेके संशय बना हुआ था। कि कहीं डबरी निर्माण के स्वीकृति पश्चात् उसकी भूमि का रकबा कम न हो जाए डबरी स्वीकृत होने के पश्चात कार्य हेतु श्रमिक मिलेंगे या नहीं बरसात से पूर्व कार्य समाप्त हो पायेगा की नहीं।

डबरी निर्माण कार्य के स्वीकृति की प्रक्रिया
महात्मा गांधी राष्ट्रीय रोजगार गांरटी योजना अंतर्गत ग्राम पंचायत हेटघींचा जनपद पंचायत फरसाबहार, जिला-जशपुर ग्राम पंचायत हेटघींचा में और भी विभिन्न प्रकार के हितग्राही मूलक कार्यों का ग्राम सभा में अनुमोदन किया गया जिसमें श्री धनुर्जय यादव की डबरी निर्माण कार्य भी शामिल था।उक्त डबरी निर्माण कार्य में कुल 1244 मानव दिवस का रोजगार प्रदान किया गया। सर्वप्रथम उक्त कार्य को ग्राम सभा में शामिल किया गया था।

डबरी निर्माण हो जाने से हितग्राही अत्यंत प्रसन्न है। वर्तमान में उनकी आय का स्त्रोत भी बढ़ने लगा हैं। चूंकि पहले उसे कृषि कार्य हेतु बारिश के मौसम पर ही निर्भर रहना पड़ता था, जिससे एक ही फसल का ही उत्पादन हो पाता था। वर्तमान में हितग्राही द्वारा बहुफसलीय खेती का लाभ लिया जा रहा है। हितग्राही श्री धनुर्जय यादव द्वारा बताया गया कि डबरी का निर्माण हो जाने से वह साग-सब्जी जैसे- आलू, प्याज, मिर्च, करेला, भिंडी, बरबट्टी, गोभी, आदि का समय-समय पर उत्पादन करने लगा है जिससे स्थानीय बाजार में बेचकर अच्छा मुनाफा ले रहा है। अब घर की सब्जी हेतु भी उसे बाजार पर निर्भर नहीं रहना पड़ता। डबरी निर्माण हो जाने से पानी की समस्या का भी समाधान हो गया है।

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धनुर्जय यादव कृषि कार्य हेतु केवल मानसून पर ही आश्रित रहता था। उसके पास आय का काई विशेष स्त्रोत नहीं था। डबरी निर्माण होने से न केवल पानी की समस्या का समाधान हुआ बल्कि उसके आय के स्त्रोत में भी बढ़ोत्तरी हुई।

डबरी निर्माण हो
जाने से उसके कृषि कार्य हेतु पानी का समस्या का समाधान हो गया है। वह इस योजना से संतुष्ट है। हितग्राही द्वारा गांव के अन्य लोगों को भी योजना का लाभ लेने की अपील कि जा रही है। वह मत्स्य विभाग से मछली पालन का भी लाभ ले रहा है।









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