सनातन धर्म में सावन महीने का विशेष महत्व है। यह महीना भगवान शिव को समर्पित होता है। इस महीने में रोजाना भगवान शिव और मां पार्वती की पूजा की जाती है। इसके साथ ही एकादशी तिथि पर लक्ष्मी नारायण जी की पूजा की जाती है। भगवान विष्णु की पूजा करने से साधक को मनचाहा वरदान मिलता है। साथ ही जीवन में व्याप्त सभी प्रकार के दुख एवं संकट दूर हो जाते हैं।
धार्मिक मत है कि एकादशी व्रत करने से साधक को जीवन में सभी प्रकार के भौतिक सुखों की प्राप्ति होती है। साथ ही साधक पर लक्ष्मी नारायण जी की कृपा बरसती है, लेकिन क्या आपको पता है कि पुत्रदा एकादशी कब और क्यों मनाई जाती है? आइए, इसके बारे में सबकुछ जानते हैं-
ये भी पढ़े : मुखिया के मुखारी – दवा ,दारू दोनों में भ्रष्टाचार का नशा
कब मनाई जाती है पुत्रदा एकादशी?
सावन माह में पुत्रदा एकादशी मनाई जाती है। यह पर्व सावन माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को मनाया जाता है। इस शुभ अवसर पर लक्ष्मी नारायण जी की भक्ति भाव से पूजा की जाती है। इस व्रत की महिमा शास्त्रों में निहित है। पुत्रदा एकादशी व्रत करने से निसंतान दंपती को पुत्र रत्न की प्राप्ति होती है। साथ ही साधक के घर में सुख, समृद्धि एवं खुशहाली आती है।
कब है पुत्रदा एकादशी?
पंचांग के अनुसार, सावन माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि की शुरुआत 04 अगस्त को सुबह 11 बजकर 41 मिनट पर होगी। वहीं, शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि का समापन 05 अगस्त को दोपहर 01 बजकर 12 मिनट पर होगा। इस प्रकार 05 अगस्त को पुत्रदा एकादशी मनाई जाएगी। साधक सुविधानुसार समय पर लक्ष्मी नारायण जी की पूजा कर सकते हैं।
पुत्रदा एकादशी शुभ योग
पुत्रदा एकादशी के दिन भद्रावास और रवि योग का संयोग है। रवि योग में भगवान विष्णु की पूजा करने से साधक को आरोग्य जीवन का वरदान प्राप्त होगा। साथ ही करियर और कारोबार को नया आयाम मिलेगा। इस शुभ अवसर पर ज्येष्ठा और मूल नक्षत्र का संयोग है। साथ ही बव करण के संयोग बन रहे हैं।
Comments