रायपुर : छत्तीसगढ़ की राजधानी में रायपुर रेलवे स्टेशन पर एक सनसनीखेज घटना ने रेलवे कर्मचारियों की सुरक्षा व्यवस्था पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। रेलवे के मुख्य वाणिज्य निरीक्षक (सीसीआई) ठाकुर नाग ने रेलवे इंजीनियर हीरा लाल और दो ठेकेदारों, अविनाश और उपेंद्र कुमार सिंह पर गाली-गलौज, मारपीट और जान से मारने की धमकी देने का गंभीर आरोप लगाया है।
इस मामले में रायपुर जीआरपी (गवर्नमेंट रेलवे पुलिस) ने तीनों आरोपियों के खिलाफ प्राथमिकी (FIR) दर्ज कर जांच शुरू कर दी है। यह घटना न केवल रेलवे कर्मचारियों के लिए चिंता का विषय है, बल्कि रेलवे प्रशासन की कार्यप्रणाली और ठेकेदारों के दबदबे को भी उजागर करती है।
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यह है पूरा मामला
मुख्य वाणिज्य निरीक्षक ठाकुर नाग अपने कार्यालय में अपने कर्तव्यों का निर्वहन कर रहे थे। इसी दौरान रेलवे इंजीनियर हीरा लाल, ठेकेदार अविनाश और उपेंद्र कुमार सिंह उनके कार्यालय में पहुंचे। तीनों ने गुढ़ियारी के पुराने बुकिंग कार्यालय की चाबी मांगी तो ठाकुर नाग ने पूछा कि आपको चाबी क्यों चाहिए। यह सुनकर तीनों अचानक उग्र हो गए और दुर्व्यवहार शुरू कर दिया।
शिकायत के मुताबिक, आरोपियों ने ठाकुर नाग को गालियां दीं, उनके साथ मारपीट की और जान से मारने की धमकी दी। इस दौरान कार्यालय में मौजूद अन्य कर्मचारी मुख्य टिकट निरीक्षक बीसी आल्दा, उप स्टेशन अधीक्षक (वाणिज्य) सतेन्द्र सिंह और एमएसटी अजीत कुमार ने बीच-बचाव करने की कोशिश की। हालांकि, इसके बावजूद आरोपी धमकी देकर वहां से चले गए।
रेलवे स्टेशन पर सुरक्षा व्यवस्था पर सवाल
रायपुर रेलवे स्टेशन से रोजाना हजारों यात्रियों का आना-जाना देखता है। वहां कर्मचारियों के साथ इस तरह की हिंसक घटना चिंताजनक है। ठाकुर नाग के साथ हुई इस घटना ने रेलवे प्रशासन की सुरक्षा व्यवस्था पर गंभीर सवाल उठाए हैं। आखिरकार, ठेकेदारों और रेलवे के कुछ कर्मचारियों के बीच ऐसी दबंगई कैसे बढ़ रही है? क्या रेलवे प्रशासन ठेकेदारों के प्रभाव को नियंत्रित करने में असमर्थ है? यह घटना रेलवे स्टेशन पर कार्यरत कर्मचारियों के मनोबल को भी प्रभावित कर सकती है।
कर्मचारियों में आक्रोश, रेलवे प्रशासन की चुप्पी
इस घटना के बाद रेलवे कर्मचारियों में आक्रोश देखा जा रहा है। कई कर्मचारियों का कहना है कि ठेकेदारों का दबदबा और रेलवे के कुछ अधिकारियों की मिलीभगत ऐसी घटनाओं को बढ़ावा दे रही है। कर्मचारियों ने मांग की है कि इस मामले की निष्पक्ष जांच हो और दोषियों को कड़ी सजा दी जाए। वहीं, रेलवे प्रशासन ने इस मामले पर अभी तक कोई आधिकारिक बयान जारी नहीं किया है, जिससे कर्मचारियों में नाराजगी और बढ़ रही है।
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सख्ती और पारदर्शिता की जरूरत
जीआरपी की जांच अब इस मामले में निर्णायक होगी। पुलिस को यह सुनिश्चित करना होगा कि जांच न केवल निष्पक्ष हो, बल्कि त्वरित भी हो, ताकि दोषियों को जल्द से जल्द सजा मिल सके। साथ ही, रेलवे प्रशासन को भी इस घटना को गंभीरता से लेते हुए ठेकेदारों के प्रभाव को नियंत्रित करने और कर्मचारियों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए ठोस कदम उठाने होंगे। इस घटना ने एक बार फिर रेलवे स्टेशन पर ठेकेदारों की दबंगई और कर्मचारियों की असुरक्षा को उजागर किया है। अब यह देखना बाकी है कि रेलवे प्रशासन और जीआरपी इस मामले में कितनी सख्ती और पारदर्शिता दिखाते हैं।
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