भोरमदेव अभ्यारण्य क्षेत्र में मवेशियों की आवाजाही पर वन विभाग की विनम्र अपील

भोरमदेव अभ्यारण्य क्षेत्र में मवेशियों की आवाजाही पर वन विभाग की विनम्र अपील

कवर्धा टेकेश्वर दुबे : मानसून के आगमन के साथ ही भोरमदेव अभ्यारण्य की सीमाओं से लगे कुछ गांवों के पशुपालक परंपरागत रूप से अपने मवेशियों को चराने के लिए जंगलों की ओर ले जाते हैं। यह ग्रामीण जीवन की एक सामान्य प्रक्रिया रही है। लेकिन यह समय वन्यजीवों के लिए बेहद संवेदनशील होता है — वर्षा ऋतु उनके प्रजनन काल का महत्वपूर्ण समय है, जिसमें वे एकांत और शांत वातावरण पसंद करते हैं।

इसी संवेदनशीलता को ध्यान में रखते हुए, वन विभाग, कवर्धा द्वारा अभ्यारण्य क्षेत्र में मवेशियों की आवाजाही पर रोक लगाने संबंधी जानकारी पूर्व में ही नोटिस व मुनादी के माध्यम से सभी संबंधित गांवों तक पहुँचाई गई थी।

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इसके बावजूद, हाल ही में बेदरची, सरेखा सहित कुछ अन्य गांवों के कुछ ग्रामीण लगभग 200 पालतू मवेशियों को लेकर अभ्यारण्य क्षेत्र में प्रवेश कर गए। इस जानकारी के मिलते ही भोरमदेव अभ्यारण्य की टीम मौके पर पहुंची और ग्रामीणों से शांति व समझदारी से संवाद कर स्थिति स्पष्ट की। ग्रामीणों ने भी सकारात्मक रवैया दिखाते हुए तुरंत अपने मवेशियों को अभ्यारण्य क्षेत्र से बाहर ले जाने पर सहमति दी, जिसके लिए हम उनका धन्यवाद करते हैं।

यह उल्लेख करना जरूरी है कि आने वाले समय में भोरमदेव अभ्यारण्य में इको-पर्यटन को बढ़ावा देने के उद्देश्य से सफारी जैसी गतिविधियाँ प्रारंभ की जाएंगी। ये गतिविधियाँ उन्हीं क्षेत्रों से होकर जाएंगी, जहां अभी मवेशियों की आवाजाही देखी जा रही है। यदि यह स्थिति बनी रही, तो इससे वन्यजीवों के आवास, प्रजनन, और स्वास्थ्य पर असर पड़ सकता है, साथ ही जंगल में संक्रामक रोगों का खतरा भी बढ़ सकता है।

मवेशियों की लगातार उपस्थिति के कारण वन्यजीव अक्सर एकांत की तलाश में अभ्यारण्य की सीमा से बाहर भटक सकते हैं, जिससे उनके अवैध शिकार की आशंका भी बढ़ जाती है — यह सभी के लिए चिंता का विषय है।इसलिए हम समस्त ग्रामवासियों से एक बार फिर सौहार्द्रपूर्ण अपील करते हैं कि वे अपने पालतू मवेशियों को अभ्यारण्य क्षेत्र में ले जाने से परहेज करें।

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यह सहयोग न केवल हमारे वन्यजीवों की सुरक्षा के लिए आवश्यक है, बल्कि भावी पीढ़ियों के लिए समृद्ध और जीवंत वन्य जीवन को संरक्षित रखने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम भी है।यदि किसी कारणवश इस अपील की अवहेलना की जाती है, तो संबंधित व्यक्तियों के विरुद्ध भारतीय वन अधिनियम एवं वन्यजीव संरक्षण अधिनियम के तहत आवश्यक कार्रवाई की जाएगी।आपका सहयोग हमारे जंगलों की सबसे बड़ी ताकत है।आइए, मिलकर भोरमदेव अभ्यारण को संरक्षित और समृद्ध बनाएं।









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