आज रिलीज नहीं होगी उदयपुर फाइल्स, हाई कोर्ट ने लगाई रोक

आज रिलीज नहीं होगी उदयपुर फाइल्स, हाई कोर्ट ने लगाई रोक

 नई दिल्ली :  उदयपुर में दर्जी कन्हैया लाल की हत्या पर आधारित फिल्म उदयपुर फाइल्स शुक्रवार को रिलीज नहीं होगी। दिल्ली हाई कोर्ट ने कहा कि केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड (सीबीएफसी) द्वारा फिल्म को दिए गए प्रमाणन के विरुद्ध जमीअत उलेमा-ए-हिंद की तरफ से दायर पुनरीक्षण आवेदन पर केंद्र सरकार द्वारा अंतरिम राहत पर निर्णय लेने तक फिल्म की रिलीज पर रोक जारी रहेगी।हालांकि, मुख्य न्यायाधीश देवेंद्र कुमार उपाध्याय व न्यायमूर्ति अनीश दयाल की पीठ ने अपने रिट अधिकार क्षेत्र का प्रयोग करने से इनकार कर दिया।

रिलीज के खिलाफ जमीअत उलेमा-ए-हिंद

फिल्म की रिलीज के खिलाफ जमीअत उलेमा-ए-हिंद द्वारा दायर याचिका पर दो चरणों में करीब चार घंटे से अधिक समय तक सुनवाई हुई। पीठ ने कहा कि याचिकाकर्ताओं को पहले सिनेमैटोग्राफ अधिनियम की धारा-छह के तहत पुनर्विचार के लिए अपने वैधानिक उपाय का उपयोग करना चाहिए।

अदालत ने कहा कि याचिकाकर्ताओं को दो दिन के भीतर अधिनियम की धारा-छह के तहत पुनरीक्षण शक्तियों का प्रयोग करने की अनुमति दी है। कोई तीसरा पक्ष भी धारा-छह के तहत पुनरीक्षण शक्तियों का प्रयोग कर सकता है।

बता दें कि धारा-छह केंद्र सरकार को फिल्म को अप्रमाणित घोषित करने या फिल्म के प्रदर्शन पर रोक जैसे अंतरिम उपाय प्रदान करने के लिए पर्याप्त शक्तियां प्रदान करता है।

सिब्बल ने कही ये बात

सुनवाई के दौरान याची की तरफ से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने कहा कि इस फिल्म में अल्पसंख्यक समुदाय के सदस्य की समलैंगिकता और यौन विकृति दिखाने वाले दृश्य हैं।

मैंने फिल्म देखी है और पूरी फिल्म समुदाय के खिलाफ- सिब्बल

उन्होंने कहा कि मैंने फिल्म देखी है और पूरी फिल्म समुदाय के खिलाफ है। उन्होंने कहा कि भले याचिका खारिज की जाए, लेकिन अदालत फिल्म देखे और निर्णय करे। वहीं, दूसरी तरफ सेंसर बोर्ड व केंद्र सरकार की तरफ से पेश हुए एएसजी चेतन शर्मा ने बताया कि बोर्ड द्वारा फिल्म प्रमाणन के लिए की गई प्रार्थना पर विचार करने के बाद निर्माता को 55 कट करने करने संबंधी संशोधन करने का आदेश दिया गया था।

केंद्र से करना चाहिए था संपर्क

हाई कोर्ट ने कहा कि ऐसा नहीं है कि इस न्यायालय के लिए असाधारण अधिकार क्षेत्र का प्रयोग करना अनुचित है, लेकिन मामले के तथ्यों को ध्यान में रखते हुए उसका मत है कि याचिकाकर्ता को केंद्र सरकार से संपर्क करना चाहिए था। अदालत ने निर्देश दिया कि याचिकाकर्ता द्वारा पुनरीक्षण याचिका दायर करने पर सरकार एक सप्ताह के भीतर विचार कर निर्णय लेगी।









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