लाहौर: भारत के पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान से हैरान करने वाला मामला सामने आया है। यहां कर्मचारियों ने जज साहब के बर्तनों में खाना खा लिया तो माननीय भड़क गए। हालात यहां तक पहुंच गए कि बर्तन में खाना खाने वाले चार कर्मचारियों के खिलाफ एक्शन ले लिया गया है। इस मामले में दो कर्मचारी ईसाई समुदाय से हैं। वहीं, इस घटना के बाद पाकिस्तान में भेदभाव को लेकर बहस भी छिड़ गई है।
जानें पूरा मामला
लाहौर हाईकोर्ट ने चार कार्मचारियों सैमुअल संधू (वेटर), फैजल हयात (कुली), शहजाद मसीह (सफाईकर्मी) और मोहम्मद इमरान (काउंटर स्टाफ) के खिलाफ जांच भी की है। अदालत के एक अधिकारी ने बताया, "लाहौर उच्च न्यायालय के अतिरिक्त रजिस्ट्रार की ओर से की गई जांच के दौरान, संबंधित कर्मचारी न्यायाधीश विश्राम गृह में दोपहर का भोजन करते समय बर्तनों का इस्तेमाल करते पाए गए।"
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सोशल मीडिया पर छिड़ी बहस
अधिकारी ने बताया आरोपियों ने कुछ भी गलत करने से इनकार किया है। उन्होंने कहा कि जांच समिति ने सिफारिश की है कि ईसाई वेटर सैमुअल को सेवा से हटा दिया जाए, जबकि अन्य तीन को 'फटकार पत्र' जारी किए जाएं। चूंकि जांच प्रशासनिक अनुशासन पर केंद्रित है, इसलिए इस मामले ने सोशल मीडिया पर कानूनी और नैतिक बहस छेड़ दी है।
लोगों ने दी प्रतिक्रिया
समरीना हाशमी नाम की एक महिला ने अपने ‘एक्स’ अकाउंट पर इस कदम की आलोचना की और पूछा, "क्या ये न्यायाधीश शाही हैं कि कोई और उनके बर्तनों में खाना नहीं खा सकता, क्या ये आरोपी कर्मचारी जानवर हैं?" एक अन्य सोशल मीडिया उपयोगकर्ता ने ‘एक्स’ पर पोस्ट किया, "खाना खाना अपराध बन गया है। जो लोग देश के धन पर दावत उड़ाते हैं, उन्हें कर्मचारियों के खाने से परेशानी है।" अली हसन नाम के एक अन्य व्यक्ति ने एक ईसाई कर्मचारी के साथ अलग व्यवहार करने के लिए लाहौर उच्च न्यायालय की आलोचना की है।
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अल्पसंख्यकों का जीना है मुहाल!
इस बीच यहां यह भी बता दें कि, पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों का जीना है मुहाल है। हाल ही में पाकिस्तान के पंजाब प्रांत में एक ईसाई शख्स को ईशनिंदा के आरोप में गिरफ्तार किया गया है। यह घटना पिछले हफ्ते लाहौर की निशात कॉलोनी में घटी थी। आमिर मसीह को मुस्लिम शख्स सनूर अली की शिकायत पर गिरफ्तार किया गया है। वहीं, पाकिस्तान में काम कर रहे एक ईसाई कानूनी संगठन के अनुसार, यह एक फर्जी मामला है।
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