नई दिल्ली : कजरी तीज व्रत का हिंदू धर्म में बहुत ज्यादा महत्व है। यह सुहागिन महिलाओं के लिए एक विशेष पर्व है, जो पति की लंबी उम्र के लिए रखा जाता है। वहीं, इस दिन कुंवारी कन्याएं भी मनचाहा वर पाने के लिए यह व्रत रखती हैं। कजरी तीज पर व्रत रखने के साथ-साथ इसकी कथा सुनना भी बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है।इस कथा का पाठ करने से न सिर्फ वैवाहिक जीवन में सुख-शांति आती है, बल्कि विवाह से जुड़ी सभी मुश्किलें भी दूर होती हैं, तो आइए पढ़ते हैं।
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कजरी तीज की व्रत कथा
एक गांव में ब्राह्मण परिवार रहता था। ब्राह्मण की पत्नी ने भाद्रपद महीने के कृष्ण पक्ष की तृतीया तिथि पर कजरी तीज का व्रत किया। व्रत के दौरान उसने अपने पति से सत्तू लाने को कहा। सत्तू के लिए ब्राह्मण के पास धन नहीं था। तो ऐसे में उसने चोरी करने का फैसला लिया। इसके बाद वह रात के समय दुकान में सत्तू लेने के लिए घुस गया। उसी दौरान दुकान के मालिक की नींद खुल गई और उसने ब्राह्मण को पकड़ लिया और उसकी पत्नी सत्तू का इंतजार कर रही थी। वहीं, चांद निकल आया था।
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जब दुकान के मालिक ने उसकी तलाशी ली, तो उसके पास से सत्तू मिला। ऐसे में ब्राह्मण ने सारी बात बता दी। उसकी बात को सुनकर मालिक को उसपर बेहद तरस आया और कहा कि आज से वो उसकी पत्नी को अपनी बहन के रूप में मानेगा। अंत में मालिक ने ब्राह्मण को मेहंदी, सत्तू, गहने और धन देकर विदा किया। इसके बाद सभी साधक ने देवी कजली की विधिवत पूजा की।
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