बिलासपुर : छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट में सोमवार को जेलों में भीड़ और कैदियों की खराब स्थिति को लेकर सुनवाई हुई। चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा की डिवीजन बेंच के सामने राज्य सरकार की ओर से पुलिस महानिदेशक ने शपथपत्र पेश कर बताया कि फिलहाल प्रदेश की जेलों में 20,500 कैदी हैं, जबकि कुल क्षमता सिर्फ 14,900 की है। यानी 5,600 कैदी क्षमता से ज्यादा हैं।
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शपथपत्र में बताया गया कि नई जेलों और बैरकों का निर्माण तेजी से हो रहा है। बेमेतरा का नया जेल भवन बनकर तैयार है और अंबिकापुर में 200 कैदियों की क्षमता वाले बैरक भी पूरे हो चुके हैं। बिलासपुर सेंट्रल जेल के लिए नए भवन का निर्माण छह बार टेंडर निकलने के बाद भी शुरू नहीं हो पाया, क्योंकि कोई ठेकेदार आगे नहीं आया। अब सातवीं बार टेंडर निकाला जाएगा। यह मामला अधिवक्ता शिवराज सिंह चौहान की जनहित याचिका से शुरू हुआ था, जिसमें केंद्रीय जेलों में क्षमता से अधिक कैदियों की समस्या उठाई गई थी। इसके बाद जेलों की अमानवीय परिस्थितियों को लेकर दूसरी पीआईएल भी आई। हाईकोर्ट ने खुद भी इस मुद्दे को गंभीर मानते हुए सुनवाई शुरू की और अधिवक्ता रणवीर मरहास को न्यायमित्र नियुक्त किया।
पहले की सुनवाई में सरकार ने बताया था कि कैदियों के स्वास्थ्य और सुविधाओं में सुधार हो रहा है। रायपुर और बिलासपुर में विशेष जेलें बनाने की योजना है, वहीं बेमेतरा में खुली जेल का निर्माण लगभग पूरा हो चुका है। इस मामले की अगली सुनवाई 16 सितंबर को होगी, जिसमें सरकार को नया शपथपत्र पेश करना होगा।
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