नई दिल्ली : समुद्र में भारत की ताकत और बढ़ गई है। अग्रिम पंक्ति के दो बहु-उपयोगी स्टेल्थ युद्धपोत आइएनएस उदयगिरि और आइएनएस हिमगिरि को नौसेना में मंगलवार को शामिल किया गया। दोनों युद्धपोत आठ ब्रह्मोस मिसाइलों से लैस है। इनमें स्वदेशी उन्नत हथियारों और सेंसर भी लगे हैं। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की अध्यक्षता में नौसेना के पूर्वी नौसेना कमान में दोनों युद्धपोतों का जलावतरण किया गया। यह पहला अवसर है जब अलग अलग शिपयार्ड में निर्मित दो प्रमुख युद्धपोतों को एक साथ नौसेना में शामिल किया जा रहा है।
नीलगिरि-श्रेणी के प्रोजेक्ट 17ए के दोनों स्टेल्थ युद्धपोत 'मेक इन इंडिया' और 'आत्मनिर्भर भारत' के प्रतीक हैं। 'उदयगिरि' नौसेना के युद्धपोत डिजाइन ब्यूरो द्वारा डिजाइन किया गया 100वां युद्धपोत है। नौसेना ने एक्स' पर पोस्ट किया, दो अत्याधुनिक युद्धपोत नौसेना के बेड़े में शामिल हो गए हैं, जो समुद्र में भारत की ताकत और मजबूत होगी।
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'उदयगिरी' और 'हिमगिरी' की विशेषताएं
दोनों युद्धपोतों के नाम आइएनएस उदयगिरि (एफ35) और आइएनएस हिमगिरि (एफ34) के नाम पर रखा गया है, जिन्होंने सेवामुक्त होने से पहले 30 वर्षों से अधिक समय तक देश की सेवा की थी।-ये सुपरसोनिक सतह से सतह पर मार करने वाली मिसाइलें, मध्यम दूरी की सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइलें, 76 मिमी एमआर गन और 30 मिमी और 12.7 मिमी क्लोज-इन हथियार प्रणालियों से लैस हैं।
उदयगिरि और हिमगिरि में डिजाइन
स्टेल्थ (रडार की पहुंच से बच निकलने की क्षमता), हथियार और सेंसर प्रणालियों में महत्वपूर्ण सुधार किए गए हैं।- नीलगिरि-क्लास की स्टेल्थ फ्रिगेट्स को कोड के तौर पर प्रोजेक्ट 17-एल्फा (प्रोजेक्ट-17ए) का नाम भी दिया गया है। इसे नौसेना के प्रोजेक्ट-17 फ्रिगेट यानी शिवालिक क्लास के अगले चरण के तौर पर देखा जाता है।
17ए प्रोजेक्ट के इन युद्धपोतों में लगभग 75 प्रतिशत स्वदेशी सामग्री का उपयोग किया गया है। 'उदयगिरी' और 'हिमगिरी' के निर्माण में स्वदेशी तकनीक और उद्योग का बड़ा योगदान रहा। ये युद्धपोत उन्नत हथियार और सेंसर से लैस हैं। दोनों युद्धपोतों को बनाने में 200 से ज्यादा सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्योग जुड़े रहे, जिनसे चार हजार लोगों को प्रत्यक्ष रोजगार मिला, साथ ही 10 हजार अप्रत्यक्ष रोजगार सृजित हुए।
'हिमगिरी' गार्डन रीच शिपबिल्डर्स एंड इंजीनियर्स (जीआरएसई) द्वारा निर्मित पी17ए युद्धपोतों में से पहला युद्धपोत है। दूसरे युद्धपोत उदयगिरि को मझगांव डाक शिपबिल्डर्स लिमिटेड (एमडीएल) में बनाया गया है। लगभग 6,700 टन विस्थापन वाले पी17ए श्रेणी के फ्रिगेट अपने पूर्ववर्ती शिवालिक श्रेणी के फ्रिगेट से लगभग पांच प्रतिशत बड़े हैं। इनका रडार क्रास सेक्शन कम है।
जरूरत हुई तो इस बार आपरेशन सिंदूर शुरू करेगी नौसेना : एडमिरल त्रिपाठी
नौसेना प्रमुख एडमिरल दिनेश कुमार त्रिपाठी ने जलावतरण समारोह में कहा कि ऑपरेशन सिंदूर अभी पूरा नहीं हुआ है और यदि जरूरत हुई तो इस बार नौसेना सबसे पहले कार्रवाई करेगी। नौसेना भारत के दुश्मनों के खिलाफ विश्वसनीय प्रतिरोधक के रूप में खड़ी है।
एएनआइ के अनुसार एडमिरल त्रिपाठी ने कहा, अनिश्चितताओं और प्रतिस्पर्धा के इस युग में भारतीय नौसेना की क्षमता, भारत के दुश्मनों के खिलाफ विश्वसनीय प्रतिरोधक है। हमने आपरेशन सिंदूर के दौरान इसका बखूबी प्रदर्शन किया। हमारे आक्रामक रुख ने पाकिस्तानी नौसेना को एक तरह से बंदी बना लिया और उन्हें मजबूरन हमसे कार्रवाई बंद करने का अनुरोध करना पड़ा।
सुरक्षा तक ही सीमित नहीं है नौसेना की भूमिका: राजनाथ
आइएनएस उदयगिरि और आइएनएस हिमगिरि के जलावतरण के बाद रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि नौसेना की भूमिका केवल समुद्र की सुरक्षा तक ही सीमित नहीं है, बल्कि यह आर्थिक सुरक्षा का भी प्रमुख स्तंभ है क्योंकि तेल, प्राकृतिक गैस जैसी भारतीय ऊर्जा आवश्यकताएं काफी हद तक क्षेत्र की सुरक्षा पर निर्भर करती हैं। उन्होंने कहा कि भारत आक्रामक विस्तारवाद में विश्वास नहीं करता है। दुनिया जानती है कि उसने कभी किसी देश पर पहले हमला नहीं किया। हालांकि, जब उसकी सुरक्षा पर हमला होता है, तो भारत जानता है कि कैसे जवाब देना है।
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रक्षा मंत्री ने कहा, हमारी ऊर्जा आवश्यकताएं, तेल, प्राकृतिक गैस, सभी काफी हद तक इस क्षेत्र की सुरक्षा पर निर्भर हैं। इसलिए नौसेना की भूमिका केवल समुद्र की सुरक्षा तक ही सीमित नहीं है, बल्कि यह हमारी राष्ट्रीय आर्थिक सुरक्षा का प्रमुख स्तंभ भी है। उन्होंने कहा, आइएनएस उदयगिरि और आइएनएस हिमगिरि का जलावतरण आत्मनिर्भर भारत की दिशा में एक सपने के सच होने जैसा है। मैं विश्वास के साथ कह सकता हूं कि ये दोनों युद्धपोत देश की सुरक्षा में मील का पत्थर साबित होंगे। भारतीय नौसेना न केवल तटीय क्षेत्रों की रक्षा करती है, बल्कि हिंद महासागर क्षेत्र में शांति और समृद्धि भी बनाए रखती है।
22 अप्रैल को पहलगाम में हुए आतंकी हमले का जिक्र करते हुए राजनाथ सिंह ने कहा कि आतंकियों ने निर्दोष लोगों का धर्म पूछकर उनकी हत्या कर दी। उन्होंने कहा कि हमारे निर्दोष लोगों पर हमला हमारे लिए चुनौती थी, लेकिन भारत ने 'आपरेशन सिंदूर' के माध्यम से प्रभावी और सटीक जवाब दिया। भारत ने आतंकवादी ढांचे को ध्वस्त कर दिया। रक्षा मंत्री ने कहा, मैं कहना चाहता हूं कि ऑपरेशन सिंदूर खत्म नहीं हुआ है, यह सिर्फ स्थगित हुआ है।
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