जानिए विश्वकर्मा पूजा कब है? जानें पूजा और क्यों है खास?

जानिए विश्वकर्मा पूजा कब है? जानें पूजा और क्यों है खास?

भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी तिथि को भगवान विश्वकर्मा की पूजा का विशेष महत्व होता है. इसी दिन सूर्य कन्या राशि में प्रवेश करते हैं, जिसे कन्या संक्रांति कहा जाता है.इस अवसर पर देशभर में कारखानों, कार्यस्थलों, मशीनों और औजारों की विशेष पूजा की जाती है. चलिए जानते हैं विश्वकर्मा जयंती कब है और इसकी पूजा विधि, महत्व के बारे में.

विश्वकर्मा पूजा कब है:- आश्विन माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि 17 सितंबर को देर रात 12 बजकर 21 मिनट पर शुरू होगी. वहीं, इस तिथि का समापन 17 सितंबर को रात 11 बजकर 39 मिनट पर हो जाएगा. ऐसे में उदया तिथि के अनुसार, 17 सितंबर को विश्वकर्मा पूजा मनाई जाएगी.

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विश्वकर्मा जयंती की पूजा विधि:- विश्वकर्मा पूजा के दिन, पूजा से पहले, सभी औजारों, मशीनों और कार्यस्थल की अच्छी तरह से सफाई करें. फिर स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र पहनें. पूजा स्थल पर भगवान विश्वकर्मा की मूर्ति या तस्वीर स्थापित करें. पूजा का संकल्प लें और भगवान का आह्वान करें. पूजा के लिए आवश्यक सामग्री जैसे अक्षत, फूल, चंदन, रोली, धूप, दीप, फल, मिठाई और पंचामृत (दूध, दही, घी, शहद, गंगाजल) तैयार करें. भगवान विश्वकर्मा को फूल, रोली, चंदन और अक्षत अर्पित करें अपने सभी औजारों और मशीनों को तिलक लगाएं और उन पर भी फूल अर्पित करें. भगवान विश्वकर्मा की आरती करें. “ॐ श्री विश्वकर्मणे नमः” मंत्र का जाप करें. सबसे आखिर में पूजा के बाद, प्रसाद वितरित कर खुद भी ग्रहण करें.

क्यों है यह खास:- यह पर्व न केवल धार्मिक महत्व रखता है बल्कि यह समाज में श्रम और कारीगरी के सम्मान को भी दर्शाता है. यह दिन हमें याद दिलाता है कि कोई भी काम छोटा नहीं होता और हर कार्य का अपना महत्व होता है. इसलिए, कारखानों से लेकर छोटे वर्कशॉप तक, हर जगह इस पर्व को बड़े उत्साह के साथ मनाया जाता है.

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विश्वकर्मा पूजा का महत्व:- हिंदू धर्म में, भगवान विश्वकर्मा को देवताओं का शिल्पकार कहा जाता है. पौराणिक कथाओं के अनुसार, उन्होंने देवताओं के लिए अस्त्र-शस्त्र, महल और रथों का निर्माण किया. स्वर्ग लोक, द्वारका नगरी, इंद्र का वज्र, भगवान शिव का त्रिशूल और विष्णु का सुदर्शन चक्र, ये सभी भगवान विश्वकर्मा की अद्भुत रचनाएं हैं. इस दिन, भक्त अपने औजारों, मशीनों और उपकरणों की पूजा करते हैं ताकि उनके काम में सफलता और उन्नति मिले. यह पूजा इस बात का प्रतीक है कि हमें अपनी आजीविका कमाने वाले साधनों का सम्मान करना चाहिए. मान्यता है कि जो व्यक्ति सच्चे मन से भगवान विश्वकर्मा की पूजा करता है, उसके जीवन में धन, समृद्धि और सफलता आती है.









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