संघर्ष से सफलता तक : सुकमा की सुशीला बनीं प्रेरणा की मिसाल, पेट्रोल पंप से नगर सेना तक का सफर

संघर्ष से सफलता तक : सुकमा की सुशीला बनीं प्रेरणा की मिसाल, पेट्रोल पंप से नगर सेना तक का सफर

सुकमा : "लहरों से डरकर नौका पार नहीं होती,कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती" कवि हरिवंश राय की यह पंक्ति महज़ कविता नहीं, बल्कि हकीकत बन गई है सुकमा जिले की 35 वर्षीय सुशीला, जो कभी पेट्रोल पंप पर काम करती थीं, आज नगर सेना में शामिल होकर हजारों महिलाओं के लिए प्रेरणा बन चुकी हैं। इस उपलब्धि के लिए कलेक्टर श्री देवेश कुमार ध्रुव ने सुशीला को शुभकामनाएं दी।गांधी नगर, सुकमा की निवासी सुशीला का सफर आसान नहीं था। वर्ष 2006 में दसवीं कक्षा में सप्लीमेंट्री आने के कारण उनकी पढ़ाई रुक गई। कई लोगों के लिए यही रुकावट अंत बन जाती है, लेकिन सुशील के लिए यह एक नई शुरुआत थी। उन्होंने हार नहीं मानी और स्वाध्याय (प्राइवेट) माध्यम से पढ़ाई जारी रखी, यहाँ तक कि डबल स्नातकोत्तर की डिग्री भी हासिल की।

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पेट्रोल पंप से परीक्षा की तैयारी तक
सुशीला ने 2016 से 2025 तक, यानी करीब 7 साल तक,  पेट्रोल पंप पर और कुछ साल प्राइवेट जॉब की। उन्होंने बताया कि काम में कभी कभी रात में भी ड्यूटी करनी पड़ती थी, इस तरह लगभग 9 वर्षों तक संघर्ष किया। इसी दौरान सुशीला हार नहीं मानी और प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करती रही, उन्होंने बताया कि जिला प्रशासन द्वारा जिला मुख्यालय में संचालित "सक्षम कोचिंग" में नगर सेना की परीक्षा की तैयारी शुरू की। उन्होंने दिनभर की मेहनत के बाद पढ़ाई करना आसान नहीं था, लेकिन उन्होंने कभी थकने की शिकायत नहीं की। उनका कहना है कि पारिवारिक समस्याओं के साथ रोज थक तो जाती थी, लेकिन हौसला नहीं टूटा। खुद पर भरोसा था, और अपनी बेटी के लिए कुछ बनना था।

बेटी के लिए बनीं रोल मॉडल
सुशीला की 10 वर्षीय बेटी जानवी भी है, जो वर्तमान में कक्षा 6वीं की छात्रा है। सुशीला कहती हैं शादी के कुछ समय बाद उनका तलाक हो गया, अब वहां अपनी माता के साथ रहती है, इस दौरान बेटी की पूरी जिम्मेदारी सुशीला पर रही, उन्होंने हर संघर्ष को एक अवसर की तरह लिया, ताकि बेटी को बता सकें कि हालात कितने भी मुश्किल क्यों न हों, हिम्मत और मेहनत से सब कुछ हासिल किया जा सकता है।

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नगर सेना में चयन, एक नया अध्याय
लगातार प्रयासों और अथक मेहनत के बलबूते, सुशीला का नगर सेना में चयन हुआ है। यह उनके जीवन का मील का पत्थर है साथ ही सुकमा जैसे पिछड़े क्षेत्र में महिलाओं के लिए एक नई राह खोलने वाला कदम भी है। अपनी उपलब्धि के बाद सुशीला ने अपने माता-पिता, सक्षम कोचिंग के शिक्षकों और जिला प्रशासन को धन्यवाद देते हुए कहा अगर आप ठान लें तो कोई भी मंज़िल दूर नहीं होती। मैंने कभी हार नहीं मानी और अब मैं हर उस महिला से कहना चाहती हूं आगे बढ़ो, आप सब भी कुछ कर सकती है।









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