जेल में बंद CGMSC के दो अफसरों की जमानत अर्जी खारिज

जेल में बंद CGMSC के दो अफसरों की जमानत अर्जी खारिज

बिलासपुर : छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने CGMSC में 411 करोड़ के मेडिकल उपकरण खरीदी घोटाले के 2 आरोपियों की जमानत अर्जी खारिज कर दी है। इसमें CGMSC के डिप्टी डायरेक्टर डॉ अनिल परसाई और असिस्टेंट ड्रग कंट्रोलर बसंत कौशिक शामिल हैं। जिन्होंने हाईकोर्ट में नियमित जमानत याचिका लगाई थी। कोर्ट ने कहा कि मामला गंभीर आर्थिक अपराध का है और जांच अभी अधूरी है, ऐसे में आरोपियों को जमानत देना उचित नहीं है। बता दें कि ACB-EOW की टीम ने मोक्षित कार्पोरेशन, रिकॉर्ड्स और मेडिकेयर सिस्टम, श्री शारदा इंडस्ट्रीज, सीबी कार्पोरेशन के खिलाफ FIR दर्ज की है।जिसकी जांच और छापेमारी के बाद छत्तीसगढ़ मेडिकल कार्पोरेशन सर्विसेज (CGMSC) के अफसरों को भी आरोपी बनाकर गिरफ्तार किया है।

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इस घोटाले में CGMSC के डिप्टी डायरेक्टर डॉ अनिल परसाई और असिस्टेंट ड्रग कंट्रोलर बसंत कौशिक को आरोपी बनाया गया है। दोनों जेल में हैं, उन्होंने अपने एडवोकेट के जरिए हाईकोर्ट में जमानत याचिका लगाई थी। इसमें कहा गया कि FIR में उनका नाम नहीं है। उनके खिलाफ कोई सीधा आरोप नहीं है। आरोपी डॉ. अनिल परसाई की तरफ से कहा गया कि विभाग द्वारा जारी वर्किंग डिस्ट्रीब्यूशन के अनुसार उन्हें केवल आहरण और संवितरण का अधिकार दिया गया था ना कि खरीदी का। यह काम CGMSC के संचालक के पद पर बैठे अधिकारी करते थे उन्होंने कुछ नहीं किया है। याचिकाकर्ता डॉ अनिल परसाई के क्षेत्राधिकार में ना तो खरीदी का अधिकार था ना खरीदी के स्वीकृति देने का और ना ही भुगतान का। इसी तरह का तर्क असिस्टेंट ड्रग कंट्रोलर बसंत कौशिक के वकील ने भी दिया।

सुनवाई के दौरान शासन की तरफ से जमानत का विरोध किया गया। शासकीय वकील ने कोर्ट को बताया कि फर्म से मिलीभगत कर इस गड़बड़ी को अंजाम दिया गया है। वकील ने कोर्ट को बताया कि रिकॉर्ड्स एंड मेडिकेयर सिस्टम्स ने मोक्षित कॉर्पोरेशन और श्री शारदा इंडस्ट्रीज के साथ मिलकर अफसरों ने पूल टेंडरिंग की। तीनों कंपनियों के रीजेंट के नाम, पैकेज और दरें एक जैसी थीं। यह सामान्य नहीं है। इससे साफ है कि टेंडर में गड़बड़ी की गई है और अफसरों की भूमिका सहयोगी का रहा है। ऐसे में उन्हें जमानत नहीं देना चाहिए।

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दोनों पक्षों को सुनने के बाद हाईकोर्ट ने कहा कि यह मामला गंभीर आर्थिक अपराध का है। वहीं, इस मामले की जांच भी चल रही है, जो अधूरी है। ऐसे में आरोपियों को जमानत देना उचित नहीं है। कोर्ट ने उनकी जमानत अर्जी को खारिज कर दिया है।








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