रायपुर : जीएसटी 2.0 के नाम पर भाजपा के प्रचार अभियान को राजनैतिक पाखंड करार देते हुए प्रदेश कांग्रेस कमेटी के वरिष्ठ प्रवक्ता सुरेंद्र वर्मा ने कहा है कि 1 जुलाई 2017 से आज तक 8 साल से अधिक के अनाप-शनाप जीएसटी वसूली के लिए देश की जनता से पहले माफी मांगे, उसके बाद 2.0 के बदलाव पर चर्चा करे भाजपाई। आधी रात को घंटा बजाकर बिना तैयारी के अव्यावहारिक जीएसटी का बोझ देश पर लादा गया, जिससे उद्योग व्यवसाय चौपट हो गए, महंगाई और बेरोजगारी बढ़ी अब दलीय चाटुकारिता में उपभोक्ता-हितैषी सुधार के कसीदे पढ़ें जा रहे हैं, जिनमें कम कर बोझ और अधिक सामर्थ्य का वादा किया जा रहा है, लेकिन हकीकत यह है कि जीएसटी 2.0 के नए प्रावधान में कई प्रमुख क्षेत्रों में इनपुट टैक्स क्रेडिट (आईटीसी) को नकारा गया है, साथ ही संरचनात्मक दरों में विसंगतियाँ, यथार्थ में व्यवसायों और अंततः उपभोक्ताओं के लिए लागत बढ़ाएगी। नए प्रावधान में 40 वस्तुओं पर जीएसटी की तरह बढ़ाई गई है। 17 वस्तुओं पर जीएसटी की दर 28 परसेंट से बढ़कर 40 फ़ीसदी के नए स्लैब में रखा गया है और 19 वस्तुओं को 12 फ़ीसदी से निकालकर 18 प्रतिशत में ला दिया गया है।
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यही नहीं अब भी 35 से अधिक कृषि उत्पाद जीएसटी के दायरे में हैं। केवल 2 जीएसटी स्लैब होने का दावा झूठा है, सोने चांदी पर 3 जीएसटी दर के साथ 5 प्रतिशत का स्लैब, 18 प्रतिशत और 40 प्रतिशत के साथ ही जीरो और निल रेटेड स्लैब भी होंगे, अर्थात कुल 6 तरह के स्लैब जीएसटी 2.0 में रहेंगे। प्रदेश कांग्रेस कमेटी के वरिष्ठ प्रवक्ता सुरेंद्र वर्मा ने कहा है कि रेडीमेड गारमेंट्स पर भी अधिकतम जीएसटी जो पहले 12 प्रतिशत थी, अब 2500 से ऊपर की कीमत वाले गारमेंट्स पर नयी कर दर सीधे 6 पर्सेंट बढ़ाकर 18 प्रतिशत राखी गई है। इसी प्रकार की बढ़ोतरी फुटवियर मे भी किया गया है। साथ ही कोर सेक्टर ऊर्जा का महत्वपूर्ण कंपोनेंट कोयला पे कर की दर को 5 प्रतिशत से बढाकर 18 प्रतिशत कर दिया गया है। बिजली की की उत्पादन लागत और बढ़ेगी। कई सेवाओं पर भी कर दरों को बढ़ाया गया है तथा जहाँ कर दरें कम की गई है वहां प्ज्ब् को खत्म कर दिया गया है।
जैसी की होटल रूम रेंट पर पहले 7500 रुपये या उससे निचे के प्रीतिदिन किराये पर कर दर 18 प्रतिशत विथ इनपुट हुआ करती थी लेकिन अब इससे 5 प्रतिशत बिना इनपुट के कर दिया गया है। अतः जिन सेवाओं पर सरकार ने इनपुट को खत्म किया है उनकी कीमतों में वृद्धि होगी, होटल व्यवसाय में भी इसका नुकसान निश्चित है। प्रदेश कांग्रेस कमेटी के वरिष्ठ प्रवक्ता सुरेंद्र वर्मा ने कहा है कि कंपनसेशन सेस के नाम पर वसूली का लक्ष्य पहले ही पूरा चुका हो चुका है, उत्पादक रौज्यो को जीएसटी क्षतिपूर्ति की भरपाई जून 2022 से ही समाप्त कर दिया गया है परंतु उसके लिए केंद द्वारा सेस की वसूली आज तक जारी है। अब नये जीएसटी 2.0 में राज्यो को होने वाले क्षति की भरपाई केन्द्र सरकार नहीं करेगी। ऐसे में अब तो सेस से पूरी तरह राहत मिलनी चाहिए लेकिन यह सरकार 40 परसेंट का नया स्लैब लाकर सेस का हिस्सा भी अपने मुनाफे में एडजस्ट करना चाहती है, सेस का प्रावधान तो 22 सितंबर 2025 से सभी वस्तुओं पर खत्म हो रहा है, अतः ऑटोमोबाइल सेक्टर में जो वास्तविक लाभ खरीददारों को मिलनी चाहिए थी वह भी 28 से बढ़ाकर 40 परसेंट जीएसटी स्लैब लागू करके सरकार खुद हड़प रही है। हकीकत यह है कि निर्दयता से कर वसूली के मामले में भाजपा की सरकारें अंग्रेजों से भी ज्यादा बेरहम हैं।
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