भिलाई : आचार्य नरेंद्र देव स्मृति जन अधिकार अभियान समिति ने सार्वजनिक उपक्रम सेल-भिलाई स्टील प्लांट में व्याप्त भ्रष्टाचार की केंद्र सरकार के शिकायत करते हुए उच्च स्तरीय जांच की मांग की है। समिति के अध्यक्ष आर पी शर्मा ने इस संबंध में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और इस्पात मंत्री एचडी कुमार स्वामी को विस्तार से पत्र लिख कर अनियमितताओं की जानकारी दी है। उन्होंने आरोप लगाया है कि सेल-बीएसपी में भ्रष्टाचार व अनियमितताओं के विरुद्ध आवाज उठाने वालों को निशाना बनाया जा रहा है।
अपने पत्र में शर्मा ने कहा कि वह दौर गुजर गया जब एशिया के सबसे बड़े महारत्न भिलाई स्टील प्लांट के साथ ही बोकारो, दुर्गापुर व राउरकेला सहित अन्य जगहों पर स्थापित संयन्त्र को सब मिलकर संवारने में लगे थे। तब राष्ट्र निर्माण का लक्ष्य सर्वोपरि था। इसलिए नो प्रॉफिट-नो लॉस की अवधारणा पर सार्वजनिक उपक्रम संचालित हो रहे थे। तब एचएससीएल नाम की कंस्ट्रक्शन कंपनी भी बनी, एफएसएनएल की भी स्थापना हुई। साथ ही पब्लिक सेक्टर में पावर प्लांट भी स्थापित हुए। उस समय अधिकारी-कर्मचारी राष्ट्र के प्रति वफादार भी थे और भ्रष्टाचार की शिकायतें मिलने पर कार्रवाई भी होती थी।
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शर्मा ने कहा कि वर्तमान में यदि हम ‘सेल’ के प्लांट में व्याप्त भ्रष्टाचार की बात करें तो स्क्रैप सहित अन्य तरह के भ्रष्टाचार में भी कार्रवाई हुई। इन और भ्रष्टाचार के मामलों को उठाने पर जयप्रकाश नारायण प्रतिष्ठान एचएससीएल कालोनी रूआबांधा भिलाई को कीमत भी चुकानी पड़ी। जिसमें प्रतिष्ठान की लीज रद्द कर दी गई साथ ही एक करोड़ का मानहानि का मुकद्दमा भी झेलना पड़ा।
‘सेल’ में भ्रष्टाचार के मामले में तात्कालिक प्रभारी कार्यपालक निदेशक विनोद अरोरा का तबादला कर दिया गया और उन्हें रांची जाना पड़ा। स्क्रैप माफिया लाखोटिया पर कार्रवाई करते हुए ‘सेल’ ने टेंडर पर भाग लेने से रोक लगाई। उस स्क्रैप माफिया की ‘सेल’ में 11 कंपनियां रजिस्टर्ड थी। लेकिन 2014 के बाद से अब पब्लिक सेक्टर में जो परिस्थितियों निर्मित हुई है उसने लोगों को सोचने पर मजबूर कर दिया है। अब एफएसएनएल का निजीकरण हो गया और एचएससीएल को इस्पात मंत्रालय से हटाकर आवास एवं शहरी विकास मंत्रालय के अधीन कर दिया गया। यह फैसला कुछ राजनेताओं की भ्रष्ट राजनीति के चक्कर में हुआ।
शर्मा ने कहा कि ‘सेल’ में व्याप्त भ्रष्टाचार को लेकर कई गंभीर आरोप लगे हैं और यह आरोप लगाने वाले भी उनके अपने ही अधिकारी हैं। ‘सेल’ के पूर्व जीएम राजीव भाटिया ने ‘सेल’ के पूर्वी क्षेत्रीय प्रबंधक मुनिश अहूजा और अन्य ‘सेल’ अधिकारियों पर टीएमटी की बिक्री को लेकर गंभीर आरोप लगाए हैं। जिसमें मेसर्स आर एन इंफ्रा प्रोजेक्ट्स को 8000 टन से अधिक टीएमटी बार की बिक्री में गड़बड़ी को लेकर शिकायतें सार्वजनिक है। राजीव भाटिया का कहना है कि मुनीश आहूजा ने परियोजनाओं के लिए लागू नीति और डीओपी का धोखाधड़ी से उपयोग करके विक्रेताओं को लगभग 1.75 से 1.80 लाख टन स्टील उत्पादों की आपूर्ति करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। श्री शर्मा ने कहा कि इस मामले में भिलाई इस्पात संयंत्र के निदेशक प्रभारी अनिर्बान दासगुप्ता की भूमिका पर भी हमने सवाल उठाया था। तात्कालिक ‘सेल’ अध्यक्ष सोमा मण्डल को भी इस भ्रष्टाचार के मामले में दिल्ली हाई कोर्ट से जमानत लेनी पड़ी। इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता कि इसमें संलिप्तता सरकार की भी है।
शर्मा ने कहा कि भिलाई इस्पात संयंत्र में व्याप्त भ्रष्टाचार का तांडव मचा हुआ है। वर्ष 2014 के बाद से यहां भ्रष्टाचार चरम पर है। भिलाई इस्पात संयंत्र के कर्मचारी अपनी मेहनत से उत्पादन के क्षेत्र में कीर्तिमान बना रहे हैं लेकिन भ्रष्टाचार का जैसा गंदा खेल आज हो रहा है। इसके पहले देखने को नहीं मिला। चोरी की घटनाएं भी जानबूझकर कराई जाती है। स्क्रैप के नाम पर तैयार माल को सुरक्षा कर्मियों और अधिकारियों की मिली भगत से बाहर निकलना आम बात हो गई है। माल की चोरी और वजन में हेरा फेरी की समस्या तो आम है। चोरी रोकने के लिए जब तक संयंत्र प्रबंधन ठोस उपाए नहीं करता तब तक ऐसी घटनाओं के लिए प्रबंधन ही जिम्मेदार है।
शर्मा ने कहा कि ऐसे मामलों को उजागर करने के कारण वह हमेशा प्रबंधन के निशाने पर रहे हैं। वहीं अपराधी संयंत्र के भीतर गोलीबारी की घटना को भी अंजाम दे चुके हैं। टेंडर भी पहले ओपन होते थे लेकिन अब प्रबंधन द्वारा कंप्यूटराइज्ड टेंडर के नाम पर भी खेल कर दिया जाता है। प्लांट के अंदर आए दिन दुर्घटना का घटित होना भी ‘सेल’ प्रबंधन की कार्य प्रणाली पर सवालिया निशान लगता है। हाल ही में वर्क्स एरिया में पावर कट हुआ था। जिससे होने वाले नुकसान के लिए कौन जिम्मेदार है? सवाल यह भी है कि आखिर ‘सेल’-बीएसपी प्रबंधन द्वारा प्लांट के रखरखाव की सेफ्टी ऑडिट रिपोर्ट सार्वजनिक क्यों नहीं की जाती है?
शर्मा ने कहा कि यहां लुटेरे ठेकेदार भी कुंडली मारकर बैठे हुए हैं। प्रबंधन को चाहिए कि उस पर वह कार्रवाई करें। जाहिर है कि उन्हें भी किसी न किसी का संरक्षण प्राप्त है। टाउनशिप में भी रखरखाव को लेकर सिर्फ कागजों पर ही काम हो रहा ऐसा प्रतीत हो रहा है। सड़कों पर लगी ग्रिल गायब हो रही हैं। सिविक सेंटर से डीपीएस जाने के मार्ग पर और सेंट्ल एवेन्यू पर चोरी हो रहे ग्रिल के बाद की स्थिति आसानी से देखी जा सकती है।
शर्मा ने कहा कि स्वच्छता का अभाव भी साफ दिखता है। भ्रष्टाचार का मुद्दा उठाने वालों को धमकाया जाता हैं। पत्रकार भी डर के मारे इनके खिलाफ नहीं लिख पाते क्योंकि उन्हें आवंटित घर के निरस्त होने का डर रहता है। व्यापारी इसलिए आवाज नहीं उठा पता कि उन्हें अलॉट की गई दुकान रद्द करने का खतरा बना रहता है। जो लोग मकान लीज़ पर ले रखे हैं वह भी आवाज नहीं उठा पा रहे हैं। वह भी डर के मारे आवाज नहीं उठा पाते। टाउनशिप की जो समस्या है वह अलग है। सीवरेज लाइन जाम पड़ी है। जिसकी वजह से लोग खुद का सोख्ता गड्ढा बनाने के लिए मजबूर हैं। नल खुलता है तो पानी में बदबू आती है। जबकि प्रबंधन इन सभी से सेवा कर लेता है। लेकिन सेवा के नाम पर काम नहीं हो रहा है। इन सारी समस्याओं पर लोगों को ही जागरूक होकर सामने आना होगा। उन्होंने कहा कि भिलाई इस्पात संयंत्र में व्याप्त भ्रष्टाचार के नए मामले को लेकर वह जल्द ही सीबीआई से शिकायत करने वाले हैं। साथ ही भ्रष्टाचारियों के संपत्ति की जांच के लिए ईडी से भी शिकायत की जाएगी।
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