बिलासपुर : छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने 36 साल पुराने बस्तर पेड़ कटाई घोटाले में सीबीआई कोर्ट के फैसले को पलटते हुए दोनों आरोपियों वीरेंद्र नेताम और अन्य को बरी कर दिया है। यह मामला वर्ष 1989 में कोंडागांव वन क्षेत्र में पेड़ों की अवैध कटाई से जुड़ा था। आरोप था कि कलेक्टर कोर्ट के आदेश में 150 की बजाय 250 पेड़ों की अनुमति दिखाकर घोटाला किया गया। घोटाले के दौरान तत्कालीन अतिरिक्त कलेक्टर ने 150 पेड़ों की कटाई की अनुमति दी थी। आरोप था कि रीडर परशुराम देवांगन ने आदेश में संख्या 150 को बदलकर 250 कर दिया। इसके बाद आरोपी वीरेंद्र नेताम और अन्य ने 250 पेड़ काटकर लगभग 9 लाख 97 हजार रुपये की लकड़ी बेच दी। सीबीआई ने इस मामले में 1998 में FIR दर्ज की थी। रायपुर की विशेष सीबीआई अदालत ने 2010 में दोनों आरोपियों को साजिश, धोखाधड़ी और भ्रष्टाचार के आरोप में तीन साल की सजा सुनाई थी।
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हाईकोर्ट का निर्णय
अदालत ने दोनों आरोपियों की अपील पर सुनवाई करते हुए कहा कि सिर्फ शक या अनुमान के आधार पर किसी को दोषी नहीं ठहराया जा सकता। जस्टिस रजनी दुबे ने माना कि हस्ताक्षर विशेषज्ञ की रिपोर्ट अधूरी थी। इसके अलावा, कलेक्टर ने खुद स्वीकार किया कि आदेश में नीली स्याही से लिखे शब्द उन्हीं के हैं। हाईकोर्ट ने यह भी माना कि सारे पैसे सरकारी खाते में जमा थे और किसी आरोपी को कोई व्यक्तिगत लाभ नहीं हुआ। अभियोजन पक्ष आरोप साबित नहीं कर सका, इसलिए दोनों आरोपियों को बरी किया गया। वीरेंद्र नेताम को अदालत ने छह माह के लिए 25 हजार रुपये का व्यक्तिगत बांड भरने का निर्देश दिया है। हाईकोर्ट ने स्पष्ट किया कि कोई भी आरोपी तब तक दोषी नहीं ठहराया जा सकता जब तक सभी साक्ष्य और तथ्य प्रमाणित न हों।
महत्वपूर्ण बातें
बस्तर पेड़ कटाई घोटाला 1989 का पुराना मामला है।
आरोपियों पर साजिश, धोखाधड़ी और भ्रष्टाचार का आरोप था।
हाईकोर्ट ने कहा कि सिर्फ अनुमान या शक के आधार पर दोषी नहीं ठहराया जा सकता।
सारे पैसे सरकारी खाते में जमा थे, किसी आरोपी को निजी लाभ नहीं हुआ।
आरोपियों को बरी करते हुए अदालत ने न्यायिक शर्तें और बांड का निर्देश दिया।
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