16 श्रृंगार क्यों किया जाता है? जानें श्रृंगार का महत्व

16 श्रृंगार क्यों किया जाता है? जानें श्रृंगार का महत्व

भारतीय संस्कृति में महिला का श्रृंगार तब तक अधूरा माना जाता है, जब तक वह सोलह शृंगार पूरा न कर ले। ये 16 श्रृंगार नारी की सुंदरता, सौभाग्य और स्वास्थ्य का प्रतीक माने जाते हैं, जो विवाहिता स्त्री की गरिमा और सांस्कृतिक पहचान को दर्शाते हैं।लेकिन क्या आप जानती हैं कि भारतीय परंपराओं में निहित ये सुहाग चिन्ह केवल धार्मिक या सामाजिक महत्व तक सीमित नहीं हैं, बल्कि इनका गहरा वैज्ञानिक और स्वास्थ्य संबंधी आधार भी है। आधुनिक युग में, जब प्राकृतिक और आयुर्वेदिक उपायों की मांग बढ़ रही है, ये सुहाग चिन्ह महिलाओं के सौंदर्य और सेहत को संवारने में अहम भूमिका निभाते हैं। ऐसे में इन पारंपरिक आभूषणों और चिन्हों को अपनाना न केवल सांस्कृतिक गर्व की बात है, बल्कि स्वास्थ्यप्रद भी है। तो आइए, जानते हैं इसके स्वास्थ्य पर पड़ने वाले प्रभावों के बारे में।

सिंदूर

सबसे पहले बात करते हैं सिंदूर की। सिंदूर में मुख्य रूप से पारा होता है, जो तनाव को कम करने, सिरदर्द को राहत देने और मानसिक संतुलन बनाए रखने में मदद करता है। वहीं माथे की बीच की जगह (अज्ञा चक्र) पर कुमकुम भरने से तंत्रिका तंत्र को सक्रियता मिलती है। यह स्थान शरीर की ऊर्जा को नियंत्रित करता है, जिससे एकाग्रता और मानसिक शांति में सुधार होता है।

बिंदी

वैसे तो बिंदी को चेहरे की सुंदरता बढ़ाने के लिए लगाया जाता है, लेकिन यह आंखों की रोशनी के लिए भी लाभदायक है। बिंदी लगाने से मस्तिष्क को ठंडक मिलती है और यह थकान को भी कम करती है।

चूड़ियां

हाथों में सजी चूड़ियां हाथों की नसों पर हल्का दबाव डालती हैं, जिससे रक्त संचार बेहतर होता है। यह हार्मोनल बैलेंस बनाए रखने में सहायक है और तनाव को भी कम करता है।

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मंगलसूत्र

मंगलसूत्र प्रेम और सुहाग का प्रतीक है। मंगलसूत्र पहनने से दिल के पास की नसों को चुंबकीय ऊर्जा मिलती है। यह हृदय स्वास्थ्य के लिए अच्छा माना जाता है और सकारात्मक ऊर्जा को आकर्षित करता है।

पायल

पायल की छनक किसे पसंद नहीं होती। पायल पहनने से पैरों में कंपन होता है, जिससे रक्त संचार बेहतर होता है। यह शरीर में जमा नकारात्मक ऊर्जा को बाहर निकालने में मदद करती है और थकान दूर करती है।

बिछुए

पुरानी मान्यता है कि बिछुए पहनना महिलाओं की प्रजनन क्षमता के लिए लाभकारी होता है। यह एक्यूप्रेशर पॉइंट्स को उत्तेजित कर के मासिक चक्र को नियमित करता है, जिससे महिला को गर्भाधान और प्रसव के समय परेशानी नहीं होती।

नथ (नाक की बाली)

नाक की बाली भी महिलाओं को स्वास्थ्य लाभ पहुंचाती है। नाक की बाली पहनने से स्त्रियों के प्रजनन अंगों से जुड़ी नसों पर दबाव पड़ता है, जो मासिक धर्म की समस्याओं को दूर करता है। साथ ही यह चेहरे की सुंदरता में भी चार चांद लगाता है।

मेहंदी

मेहंदी के स्वास्थ्य लाभ तो जगजाहिर है। मेंहदी में औषधीय गुण होते हैं। यह हाथ-पैरों को ठंडक देती है और तनाव कम करती है। त्वचा के लिए भी लाभकारी होती है और इसमें एंटी-बैक्टीरियल गुण होते हैं।

काजल

छोटे बच्चे से लेकर महिलाएं तक आंखों में काजल लगाती हैं, यह सुंदरता को बढ़ाता है और काजल लगाने से आंखों की रोशनी तेज होती है और आंखें धूल-मिट्टी से सुरक्षित रहती हैं। यह थकान को कम करने और आंखों को ठंडक देने में मदद करता है।









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