धान की खेती अब करीब अंतिम पड़ाव पर पहुंच चुकी है. ऐसे में किसान भाइयों को सतर्क रहने की ज्यादा जरूरत है. दरअसल, तीन महीने बेटे की तरह फसल का ख्याल रखा है, लेकिन अब फसल तो अच्छी दिख रही है. लेकिन दो दुश्मन ऐसे हैं, जो फसल पर अटैक कर सकते हैं. इससे न सिर्फ फसल की पैदावार कम हो सकती है. बल्कि गुणवत्ता पर असर पड़ सकती है. ऐसे में किसान भाई जब धान को मंडी में धान खरीदी केंद्र पर लेकर जाएंगे, तो उन्हें धान की फसल की कीमत औसत से भी कम मिल सकती है. बालाघाट के बड़गांव स्थित राना हनुमान सिंह कृषि विज्ञान केंद्र के डायरेक्टर डॉक्टर धुवारे से बातचीत की, जानिए उन्होंने किसानों को क्या सलाह दी है.
दो दुश्मन फसल पर आक्रमण करने को तैयार
डॉक्टर धुवारे ने बताया कि अब जो धान निकल रही है या निकल चुकी है. दोनों स्थिति में दो खतरनाक कीट निकलने की आशंका है. अगर बाली निकल रही है, तो समस्या ज्यादा हो सकती है. इसमें एक तना छेदक है और इससे भी ज्यादा खतरनाक कीट बीपीएच यानी ब्राउन लीफ हॉपर यानी भूरा फुदका. किसान की नजर भी तब पड़ती है, जब संक्रमण ज्यादा बढ़ जाता है. लेकिन जागरूक किसान इसका निस्तारण पहले ही कर लेता है.
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पहले बात तना छेदक की
धान में तना छेदक यानी राइस बोरर धान की बाली निकलने वाली अवस्था में फसल पर आक्रमण करता है. इसके अटैक से पत्तियां मुरझा जाती है. इसके अलावा बढ़वार वाले हिस्से मर जाते हैं. इसे डेड हार्ट कहते हैं. ऐसे में किसान भाई इसके नियंत्रण के लिए पैराथेरेसिया क्लैरिपैल्पिस और एरिबोरस सिनिकस को छोड़ना चाहिए और कुछ शिकारी मकड़ियों की कुछ प्रजाति भी इन कीटों का भक्षण करते हैं, लेकिन मामला हाथ से निकल जाए, तो आप क्लोरैंट्रैनिलिप्रॉल का इस्तेमाल कर सकते हैं. इसमें शुरुआत में इसका छिड़काव करते हैं, तो आपको फायदा होगा, लेकिन फसल को कीट पूरी तरह नुकसान पहुंचा चुके है, तो दवाई छिड़कने का कोई फायदा नहीं होता है.
अब जानिए भूरा फुदका के बारे में
अब जिस कीट के बारे में बता रहे है, उसे एक्सपर्ट भी खतरनाक मानते हैं. धान में भूरा फुदका, या ब्राउन प्लांट हॉपर, एक मच्छर नुमा कीट है जो धान के पौधों से रस चूसता है, जिससे पौधे पीले पड़ जाते हैं और अंततः सूखकर मर जाते हैं, इस स्थिति को हॉपर बर्न कहते हैं. इसके नियंत्रण के लिए किसान भाई पाइमेट्रोजिन 50% डब्ल्यूजी युक्त कीटनाशक का छिड़काव करें. यह कीटों को तुरंत भोजन करने से रोकता है.
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