गरियाबंद : देवउठनी एकादशी से शुरू हो रहे शादी-ब्याह के मौसम को ध्यान में रखते हुए एक्सेस टू जस्टिस (न्याय तक पहुंच) जिला गरियाबंद, जो कि संचालक संस्था “समर्पित गरीबी उन्मूलन एवं सामाजिक अनुसंधान केंद्र बिलासपुर (छ.ग.)” के अंतर्गत कार्यरत है, ने बाल विवाह की रोकथाम के लिए जिला प्रशासन से सख्त निगरानी और सतर्कता बरतने की अपील की है।
संगठन ने जिला प्रशासन को भेजे गए पत्र में कहा है कि इस विवाह सीजन में बाल विवाह जैसी सामाजिक बुराई को रोकने के लिए प्रशासनिक स्तर पर चौकसी बेहद जरूरी है। समर्पित ने आग्रह किया है कि सरपंचों, आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं और पुलिस अमले को विशेष निगरानी के निर्देश दिए जाएं, ताकि किसी भी संभावित बाल विवाह की जानकारी तुरंत प्राप्त हो सके और त्वरित कार्रवाई की जा सके।
संगठन ने यह भी अपील की है कि यदि किसी व्यक्ति को किसी बाल विवाह की सूचना मिले, तो वह तुरंत पुलिस हेल्पलाइन (112), चाइल्ड हेल्पलाइन (1098) या टोल-फ्री नंबर (1800-1027-222) अथवा स्थानीय थाने को सूचित करे, ताकि अपराध को रोका जा सके।
ये भी पढ़े : मुखिया के मुखारी - कलमवीर अब दस्यु सरदार बन गए
समर्पित संस्था के निदेशक डॉ. संदीप शर्मा ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने वर्ष 2024 के अपने ऐतिहासिक निर्णय में जिलों को बाल विवाह की रोकथाम के लिए सतर्क रहने के स्पष्ट निर्देश दिए थे। हम केवल उन्हीं निर्देशों के पालन की मांग कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्रालय ने 27 नवंबर 2024 को “बाल विवाह मुक्त भारत” अभियान की शुरुआत की थी, जिसका लक्ष्य वर्ष 2030 तक देश से बाल विवाह का पूर्ण उन्मूलन करना है।
डॉ. शर्मा ने आगे कहा, “आज हम बाल विवाह के खात्मे के मुहाने पर खड़े हैं। यह समय बेहद अहम है क्योंकि देवउठनी एकादशी के शुभ मुहूर्त में कई परिवार बच्चों की शादी का आयोजन करते हैं। हमें इस शुभ अवसर की गरिमा बनाए रखते हुए यह सुनिश्चित करना होगा कि एक भी बाल विवाह न होने पाए।”
ये भी पढ़े : अभी और कितना गिरेंगी सोने की कीमतें? जानें एक्सपर्ट्स से
समर्पित एक्सेस टू जस्टिस (न्याय तक पहुंच) संस्था, बाल अधिकारों की सुरक्षा व संरक्षण के लिए कार्यरत राष्ट्रीय नागरिक समाज नेटवर्क “जस्ट राइट फॉर चिल्ड्रन” की सहयोगी संस्था है। यह संगठन बाल विवाह मुक्त भारत अभियान के तहत पिछले कई वर्षों से जिले में जागरूकता अभियान चला रहा है और अब गांवों, स्कूलों व धार्मिक संस्थानों को इस मुहिम से जोड़ने पर विशेष जोर दे रहा है।
“बाल विवाह के खिलाफ लड़ाई केवल कानून से नहीं, बल्कि समाज की सजगता से जीती जा सकती है।” — डॉ. संदीप शर्मा, निदेशक, समर्पित



Comments