जो आशंका जताई जा रही वो सही साबित हुई है. ममदानी की जीत का जश्न खत्म भी नहीं हुआ था कि न्यूयॉर्क में कट्टरपंथी अपने काम में जुट गए हैं. अभी ममदानी को मेयर पद का चुनाव जीते हुए 48 घंटे ही हुए हैं और इन 48 घंटों में न्यूयॉर्क में पहला धर्मांतरण हो गया है.
हां ये सच है, विश्लेषण में आगे बढ़ाने से पहले हम आपसे आज एक और बात कहना चाहते हैं. हमारे देश में एक कुंठा क्लब है. ये हमें इसलिए टारगेट कर रहा है क्योंकि हमने ममदानी को कट्टरपंथी कहा. क्योंकि हमने, ममदानी के हमास प्रेम का सच आपके सामने रखा, जो लोग ममदानी को नेहरूवादी कहकर उनका महिमामंडन कर रहे थे. वो नहीं चाहते कि ममदानी का असली चेहरा लोगों को पता चले. वो चाहते हैं कि जितना वो बताएं और दिखाएं सिर्फ उतना ही लोग जानें.
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ब्लूप्रिंट पर काम
कट्टरपंथियों ने गजवा-ए-अमेरिका वाले अपने ब्लूप्रिंट पर तत्काल काम शुरू कर दिया है. न्यूयॉर्क में ईसाईयों, यहूदियों, हिंदुओं और दूसरे धर्म के नागरिकों का धर्मांतरण करने के लिए कट्टरपंथियों की टोली निकल गई है. अब ये काम चोरी-छिपे नहीं हो रहा है बल्कि खुलकर हो रहा है. क्योंकि अब न्यूयॉर्क का बॉस कट्टरपंथी जोहरान ममदानी हैं. कट्टरपंथी सिर्फ धर्मांतरण ही नहीं करा रहे है इसका खुलेआम ऐलान भी कर रहे हैं. खतरा सिर्फ इतना नहीं है. सिर्फ एक मेयर की जीत के बाद पूरे अमेरिका में कट्टरपंथियों का हौसला आसमान पर पहुंच गया है. कई जगहों पर तो बकायदा डेस्क लगाकर लोगों को धर्मांतरण के लिए फुसलाया जा रहा है. भोली-भाली महिलाओं को इस्लाम अपनाने के लिए बरगलाया जा रहा है. धर्मांतरण वाले ये अधर्म सबसे सामने हो रहा है.
ममदानी की जीत
भले ही औपचारिक तौर न्यूयॉर्क अब भी अमेरिका का राज्य है लेकिन कट्टरपंथी इसे इस्लामिक राज्य घोषित कर चुके हैं. ममदानी उनके खलीफा हैं. इसलिए कट्टरपंथियों की टोली न्यूयॉर्क की अमेरिकी पहचान मिटाने के लिए मैदान में उतर आई है. ममदानी की जीत के 48 घंटे के अंदर ही न्यूयॉर्क शहर में अमेरिका के राष्ट्रीय ध्वज को फाड़ा जा रहा है. ये साफ संदेश हैं अब न्यूयॉर्क मे अमेरिकी संविधान का नहीं इस्लामिक शासन चलेगा. अमेरिका का ध्वज नहीं शरिया का झंडा होगा और अमेरिका का कानून नहीं शरिया वाला कानून चलेगा. ममदानी की जीत के बाद कट्टरपंथियों के उपद्रवी अवतार को देखकर न्यूयॉर्क के लोग सन्न हैं. जिन लोगों ने अपनी मेहनत से इसे अमेरिका की आर्थिक राजधानी बनाया वो समझ नहीं पा रहे हैं कि आखिर 48 घंटे में हालात इतने खराब कैसे हो गए. कट्टरपंथी शहर की तासीर बदल रहे हैं. ये बात उन लोगों को परेशान कर रही है जिन्होंने कट्टरपंथियों के ताडंव साक्षात देखा है.
ट्रंप को सीधे चुनौती
ईरान से आए एक परिवार का दर्द सोशल मीडिया पोस्ट के तौर पर दिखा. पोस्ट का एक-एक शब्द बताता है कि कट्टरपंथियों की नफरत का दस्तावेज है. ये परिवार वर्ष 1979 में ईरान में कट्टरपंथियों के शासन से बचकर न्यूयॉर्क पहुंचा था. पोस्ट में महिला ने बताया है कि उदारवादी न्यूयॉर्क ने शरणार्थी परिवार का बांहे खोलकर स्वागत किया था. विडंबना देखिए आज 47 साल बाद न्यूयॉर्क कट्टरपंथियों के कब्जे में हैं. अब सवाल ये है कि कट्टरपंथ के शिकार ये परिवार अब कहां जाएंगे.ममदानी की जीत के बाद कट्टरपंथी सीधे ट्रंप को चुनौती दे रहे हैं. अपने कट्टरपंथी एजेंडा को छिपाने के लिए ममदानी कैसे अमेरिका की सोशलिस्ट स्लम बनाना चाहते हैं. हम ये भी आपको बताएंगे लेकिन सबसे पहले चर्चा करते हैं ममदानी के पहले धोखे की.
एक्ट्रा टैक्स
मेयर चुनाव जीतने के लिए ममदानी ने फ्री चाइल्डकेयर, फ्री बस, मकान किराया नहीं बढ़ाने जैसे लोकलुभावने वादे किए हैं। इन्हीं लोकलुभावन वादों के पीछे ममदानी का कट्टरपंथी चेहरा और एजेंडा छिपाया गया था. ममदानी अब चुनाव जीत चुके हैं इसलिए अब वादे पूरे करने का दबाव भी है. तो चालाक ममदानी ने इसके लिए लोगों से चंदा मांग लिया. आप इसी से ममदानी की चतुराई को समझ सकते हैं. ममदानी की इस चतुराई को न्यूयॉर्क के अमीर टैक्सपेयर अच्छी तरह समझ रहे हैं. क्योंकि ममदानी धार्मिक कट्टरपंथ के साथ ही टैक्स वाले कट्टरपंथ को भी आगे बढ़ा रहे हैं. ममदानी ने न्यूयॉर्क शहर के अमीरों पर 2% एक्स्ट्रा टैक्स लगाने और कॉर्पोरेट टैक्स को साढे 11 प्रतिशत तक बढ़ाने का ऐलान किया है.सर्वे बता रहे हैं कि ममदानी के इस ऐलान से न्यूयॉर्क के करीब 8% प्रतिशत लोगों ने शहर छोड़ने की प्लानिंग कर ली है. इनमें से कई अरबपति भी हैं. अगर ये अमीर न्यूयॉर्क छोड़ते हैं तो पूरा शहर सोशलिस्ट स्लम बन जाएगा.
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अमीर छोड़ेंगे न्यूयार्क ?
सोशलिस्ट स्लम यानी ऐसा शहर जहां मुफ्त की योजनाएं तो होंगी लेकिन बुनियादी ढांचा नहीं होगा. अमेरिकी पूंजीवाद के प्रतीक शहर के सोशलिस्ट स्लम बनने की आशंका क्यों है इसे समझने के लिए हमें एक आंकड़े को समझना होगा. न्यूयॉर्क को इनकम टैक्स से होनेवाली आय में टॉप 1% अमीर लोगों का योगदान 40% है, ये अमीर न्यूयॉर्क की GDP में 2.5% का योगदान करते हैं. अगर इसमें से 10% अमीर भी शहर छोड़ देते हैं तो न्यूयॉर्क को सालाना 8 बिलियन डॉलर का नुकसान हो सकता है. इससे न्यूयॉर्क की GDP करीब 0.5 प्रतिशत तक गिर सकती है.2021 में जब न्यूयॉर्क में टैक्स बढ़ाया गया था तो 0.2% अमीर शहर छोड़ गए थे. तब ये अमीर सिर्फ टैक्स बढ़ाने से नाराज थे. लेकिन आज खतरा दोहरा है. एक तरफ कट्टरपंथियों का तांडव है तो दूसरी तरफ टैक्स वाला टेरर है. इसलिए आशंका जताई जा रही है कि बड़ी संख्या में अमीर न्यूयॉर्क छोड़ सकते है. अमीरों के शहर छोड़ने से कितना नुकसान होगा इसका विवरण भी हम आपको देंगे. लेकिन पहले न्यूयॉर्क की आर्थिक ताकत को समझिए.
अमेरिका की आर्थिक राजधानी
न्यूयॉर्क को अमेरिका की आर्थिक राजधानी कहा जाता है.न्यूयॉर्क की GDP 1 लाख करोड़ डॉलर से ज्यादा है. अगर न्यूयॉर्क को एक देश माना जाए तो ये दुनिया की 10वीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है. मेक्सिको, स्पेन जैसे 182 देश GDP के मामले में न्यूयॉर्क से पीछे हैं. ममदानी के टैक्स वाले कट्टरपंथ से न्यूयॉर्क की ये आर्थिक ताकत जमीन पर आ सकती है. इसे ऐसा समझिए की अगर न्यूयॉर्क के टॉप शून्य दशमलव दो प्रतिशत अमीर भी शहर छोड़ देते हैं तो यहां टैक्स में 10% की गिरावट आ सकती है.करीब 20 हजार नौकरियां खत्म हो जाएंगी. रेस्त्रां, ज्वैलरी शॉप जैसे छोटे रोजगार में 20% की कमी आएगी. न्यूयॉर्क की लाइफलाइन कहे जानेवाला नया मेट्रो प्रोजेक्ट 1 साल पीछे चला जाएगा.अब आप समझ रहे होंगे कि एक कट्टरपंथी से मेयर बनने से न्यूयॉर्क पर कितना बड़ा संकट आ गया है. सड़क पर धार्मिक उन्मादी उपद्रव कर रहे हैं तो टैक्स वाले कट्टरपंथ से न्यूयॉर्क की अर्थव्यवस्था के तबाह होने का खतरा है. सोचिए जो शहर 200 साल की मेहनत से इस पोजिशन तक पहुंचा है वो सिर्फ एक कट्टरपंथी की जीत से कहां पहुंच गया है.
ट्रंप की ममदानी को चेतावनी
इसलिए अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप ने ममदानी को चेतवानी दी है. ममदानी की हर कट्टरपंथी नीति पर ट्रंप की नज़र है. ट्रंप ने साफ-साफ कहा है कि अगर ममदानी ने न्यूयॉर्क में गड़बड़ी की तो मैं शहर में नेशनल गार्ड उतार दूंगा. ट्रंप पहले भी न्यूयॉर्क का फंड रोकने की चेतावनी दे चुके हैं. ऐसे में अगर कट्टरपंथियों का उपद्रव बढ़ा तो ट्रंप क्राइम कंट्रोल के नाम पर नेशनल गार्डस को न्यूयॉर्क में उतार सकते हैं. ट्रंप बार-बार ये कह रहे हैं कि ममदानी की जीत न्यूयॉर्क के लिए खतरा है.ट्रंप अगर न्यूयॉर्क में नेशनल गार्ड उतारते हैं तो ये कट्टरपंथियों के लिए बुरी खबर होगी. न्यूयॉर्क के आम लोग इससे खुद को सुरक्षित महसूस करेंगे. लेकिन ट्रंप के इस फैसले के बाद कानूनी टकराव का नया दौर शुरू हो जाएगा. कट्टरपंथी इस फैसले के विरोध के नाम पर सड़क पर उपद्रव कर सकते हैं. इससे भी न्यूयॉर्क और अमेरिका का ही नुकसान होगा.



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