वाशिंगटन : दुनियाभर में भारतीय दूतावासों ने राष्ट्र गीत 'वंदे मातरम्' के 150 वर्ष पूरे होने पर सामूहिक गायन, सांस्कृतिक कार्यक्रमों और सामुदायिक समारोहों के माध्यम से प्रवासी भारतीयों में एकता और राष्ट्रीय गौरव की भावना को प्रदर्शित किया।
बंकिम चंद्र चट्टोपाध्याय द्वारा 1875 में रचित 'वंदे मातरम्' को पहले उनके उपन्यास आनंदमठ में शामिल किया गया था और यह स्वतंत्रता आंदोलन का एक महत्वपूर्ण नारा बन गया। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने शुक्रवार को इसकी 150वीं वर्षगांठ के उपलक्ष्य में साल भर जारी रहने वाले स्मरणोत्सव का उद्घाटन किया था।
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वाशिंगटन स्थित भारतीय दूतावास ने शनिवार को कहा कि सात नवंबर को भारतीय प्रवासी छात्रों द्वारा सामूहिक गायन के साथ इस मील के पत्थर को दर्शाया गया।ओटावा में उच्चायुक्त दिनेश के. पटनायक ने भारतीय प्रवासी सदस्यों और उच्चायोग के अधिकारियों के साथ 'वंदे मातरम्' गायन का नेतृत्व किया।
दोहा में राजदूत विपुल ने राष्ट्रगीत के सामूहिक गायन का नेतृत्व किया जबकि रियाद में राजदूत सुहेल एजाज खान ने भारतीय समुदाय के साथ भाग लिया।कैनबरा में उच्चायुक्त डीपी सिंह ने सामुदायिक सभा में गायन का नेतृत्व किया। लंदन में उच्चायोग के अधिकारियों ने मातृभूमि के प्रति सम्मान व्यक्त किया।जर्मनी में भारतीय दूतावास ने टैगोर सेंटर के साथ मिलकर वंदे मातरम की 150वीं वर्षगांठ पर एक समारोह आयोजित किया और प्रवासी सदस्यों ने इसमें शामिल होकर इस गीत को श्रद्धांजलि अर्पित की।


