खेती में नई तकनीक और समझ अपनाकर किसान अब अपनी आमदनी दोगुनी कर रहे हैं. जिले के प्रगतिशील किसान मनीष कुमार निषाद ने अमरूद के साथ सहफसली खेती का तरीका अपनाकर यह साबित कर दिखाया है कि थोड़ी समझ और मेहनत से खेतों की पैदावार और मुनाफा दोनों बढ़ाए जा सकते हैं.
मनीष कुमार बताते हैं कि सहफसली खेती का मतलब है एक ही खेत में एक साथ दो या अधिक फसलें उगाना. अमरूद के बाग में किसान ऐसी फसलें लगाते हैं जो कम धूप और कम जगह में भी अच्छी तरह बढ़ जाती हैं, जैसे मूली, मेथी, पालक, प्याज, अदरक और हल्दी. उन्होंने बताया कि इस तकनीक का विचार उन्हें यूट्यूब से मिला पहले वे सब्जी की खेती करते थे, तो सोचा कि अमरूद के पौधों के बीच की खाली जगह का उपयोग क्यों न किया जाए. फिलहाल वे अमरूद के साथ मेथी की खेती कर रहे हैं, जिसे काटने के बाद उसी जगह मटर की बुवाई करेंगे.
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सहफसली खेती के फायदे
मनीष कुमार का कहना है कि सहफसली खेती से पौधों की ग्रोथ भी बेहतर होती है क्योंकि खेत में लगातार देखभाल और गतिविधि बनी रहती है. इसके अलावा यह खेती किसानों के लिए कई तरह से फायदेमंद है जैसे खेत की पूरी जमीन का उपयोग होता है, जल्दी आमदनी मिलती है, मिट्टी की उर्वरता बनी रहती है और जोखिम भी कम हो जाता है.
इन फसलों की खेती आसान
अमरूद के साथ मूली, मेथी, धनिया, पालक, प्याज, अदरक और हल्दी जैसी फसलें आसानी से उगाई जा सकती हैं. ये फसलें कम समय में तैयार हो जाती हैं और पेड़ों की जड़ों को भी पोषण देती हैं. साथ ही खेती के दौरान जैविक खाद और गोबर की खाद का उपयोग करना चाहिए ताकि मिट्टी की गुणवत्ता बनी रहे. वहीं सिंचाई के लिए ड्रिप सिस्टम सबसे बेहतर तरीका है, जिससे पानी की बचत होती है और फसलों को बराबर नमी मिलती रहती है.
हो रही लाखों में कमाई
मनीष कुमार निषाद का मानना है कि अमरूद के साथ सहफसली खेती किसानों के लिए एक टिकाऊ और लाभकारी तरीका है. इससे उत्पादन बढ़ता है, खर्च घटता है और आमदनी में इजाफा होता है. गोंडा समेत उत्तर प्रदेश के कई जिलों में किसान इस तकनीक को अपनाकर लाखों रुपये तक की आमदनी कमा रहे हैं.



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