नकली सामानों का गढ़ बन रहा छत्तीसगढ़,ड्रायफ्रूट से लेकर कास्मेटिक-कपड़े तक बना रहे नकली

नकली सामानों का गढ़ बन रहा छत्तीसगढ़,ड्रायफ्रूट से लेकर कास्मेटिक-कपड़े तक बना रहे नकली

रायपुर : नकली व प्रतिबंधित दवाएं भी धड़ल्ले से बिक रही राजधानी में प्रतिबंधित दवाओं का कारोबार धड़ल्ले से चल रहा है। विभिन्न अस्पतालों के आसपास ऐसी दवाएं बिना डॉक्टर के पर्चे के बेची जा रही है। हालांकि, रसीद मांगने पर दवाएं नहीं दी जाएंगी। वहीं, यह सब जानते हुए भी प्रशासन चुप्पी साधे हुए है। नकली सामानों का कारोबार कम होने का नाम नहीं ले रहा है।देश की नामचीन और बड़ी कंपनियों के नाम पर नकली उत्पाद का राजधानी रायपुर गढ़ बन चुका है। सारे नकली सामान आसपास के इलाके से ही यहाँ लाया जाता है, यहां पर सक्रिय सिंडिकेट बड़ी कंपनियों के उत्पादों के हू-ब-हू नकली उत्पाद तैयार कर प्रदेश भर के बड़े बाजारों से लेकर गांव-कस्बों में इसे सस्ते दाम पर खपाया जा रहा है।

राजधानी में आसपास के छोटे शहरों और कस्बों में निर्मित बड़े ब्रांड के नकली उत्पाद धड़ल्ले से सप्लाई हो रहे है। तिल्दा-नेवरा, भाटापारा, दुर्ग, भिलाई, चकरभाटा सहित राजधानी के आसपास नकली सामान बनाये जा रहे हैं। नकली काजू, बादाम के अलावा दवाइयां और अन्य खाने-पीने की वस्तुयें भी नकली तैयार की जा रही है। फूड एंड ड्रग सेफ्टी विभाग द्वारा भी नियमित चेकिंग नहीं की जा रही है जिसके चलते मार्केट नकली उत्पाद से अटा पड़ा है। शिकायत करने पर सम्बंधित जगह पर छापेमारी की जाती है, लेकिन वह भी औपचारिकता निभाने के रूप में होती है। जबकि नियमित रूप से चेकिंग करना फूट एंड ड्रग सेफ्टी विभाग की जिम्मेदारी का हिस्सा है। 

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पुलिस विभाग में भी नकली सामानों की जांच करने के लिए अलग से विंग नहीं है, जो नकली माल की जांच करे। आम लोगों के साथ ब्रांडेड कंपनियों के प्रतिनिधियों द्वारा की गई शिकायत के आधार पर जांच के नाम पर खानापूर्ति हो रही हैं। क्योंकि पुलिस अपना मूल काम कानून व्यवस्था पर ध्यान रखे या इन नकली सामान बेचने वालों की खबर ले। देखा ये भी जा रहा है कि नकली उत्पाद की फैक्ट्रियां छुटभैये नेताओं की होती है या ये फैक्ट्री वाले इन छुटभैये नेताओं से नज़दीकी बना कर रखते हैं ताकि समय पर ये इन अवैध गतिविधियों को संचालित करने में इनकी मदद करें।

राजधानी सहित समूचे छत्तीसगढ़ में ब्रांडेड कंपनियों के नकली उत्पाद धड़ल्ले से बिक रहे हैं। न सिर्फ नकली प्रोडक्ट बिक रहे बल्कि इन नकली उत्पादों का निर्माण व पैकेजिंग भी छत्तीसगढ़ विभिन्न शहरों में ही हो रहा है। राज्य के खाद्य एवं औषधि व उपभोक्ता संरक्षण विभाग की उदासीनता से खाद्य पदार्थों से लेकर ब्रांडेड कंपनियों के इलेक्ट्रानिक्स, फैब्रिक्स, कास्मेटिक वस्तुओं के नकली उत्पाद राज्य में आसानी बेचे व बनाए जा रहे हैं। भाटापारा-बिलासपुर नकली उत्पाद का मुख्य केंद्र राज्य के रायपुर, तिल्दा, भाटापारा, चकरभाठा, भिलाई-दुर्ग, रायगढ़, चांपा, धमतरी, बिलासपुर में नकली उत्पाद बनाने के कुटीर उद्योग चल रहे हैं। कई फैक्ट्रियां भी हैं जहां ब्रांडेड कंपनियों के हूबहू प्रोडक्ट तैयार और पैकेजिंग किए जाते हैं।

 प्रदेश में नकली सामानों का बाजार हर जगह सजा हुआ है। बेतहाशा मंहगाई के वजह से आम जनता को कम पैसे में सामान खरीदने में रूचि होने लगी है, असली नकली से अब कोई सरोकार नहीं रहा गया है क्योंकि असली सामान की कीमत देने पैसे नहीं होते और नकली सामान हर कंपनी के हूबहू बाजार में कम दामों में मिल जा रहा है। इसी का फायदा नकली सामान बेचने वाले लोग उठा रहे हैं। 

दुकानदार जहां मोटे कमीशन के लालच में ये सामान बेच रहे हैं, वहीं नकली से अनजान ग्राहक भी कम कीमत पर सामान पाकर खुश हैं। दरअसल रायपुर में नकली पनीर, नकली खोआ, क्रीम व चायपत्ती, साबुन, ड्रायफ्रूट,कपडे और इलेक्ट्रानिक, इलेक्ट्रिक का जखीरा मिलने के बाद यह साबित हो गया। छत्तीसगढ़ में नकली खाद्य सामग्री, कास्मेटिक से लेकर सारा घरेलू सामान आसानी से खपाया जा रहा है। करोड़ों-अरबों का कारोबार रायपुर समेत प्रदेश भर में ब्रॉडेड कंपनी के नाम पर नकली सामान खपाने का कारोबार तेजी से फल-फूल रहा है। अकेले रायपुर में हर महीने करोड़ों के इलेक्ट्रॉनिक्स उपकरण, कास्मेटिक, खाद्य सामग्री, कपड़े समेत अन्य सामान खपाया जा रहा है।नकली सामानों के कारोबार में अवैध विदेशी तस्करों का का एकाधिकार है।

जीएसटी चोरी का नया तरीका

कारोबारियों ने जीएसटी चोरी का नया तरीका ढूंढ लिया है। अब वो ब्रांडेड उत्पाद के मिलते जुलते नाम के नकली उत्पाद बनाने वाली कंपनी से सांठगांठ कर सरकार की आंखों में धूल झोंककर करोड़़ों की कमाई कर जनता के स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ कर रहे है। नकली उत्पाद को खपाने में पाकिस्तानियों और बांग्लादेशी तस्कर व्यापारियों का हाथ होना बताया जा रहा है। आसपास ब्रांडेड कंपनियों के नकली उत्पाद की फैक्ट्रियां चल रही धड़ल्ले से, स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़, ग्राहकों को सीधा जहर दे रहे हैं। काजू-बादाम, दवाइयां, इलेक्ट्रानिक्स और अन्य खाने-पीने की नकली वस्तुओं के जद में शहरी और ग्रामीण बाजार फूड एंड ड्रग सेप्टी विभाग को राजनीतिक रसूखदारों और छुटभैया नेताओं के संरक्षण के चलते यह कारोबार फलफूल रहा है । नामीकंपनियों के प्रतिनिधियों की शिकायत पर कोई सुनवाई नहीं, नकली उत्पाद ने ले लिया कुटीर और गृह उद्योग की तरह चल रहा है जिस पर किसी का नियंत्रण नहीं है।

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नकली उत्पादों से जीडीपी को एक लाख करोड़ से ज्यादा की चपत

नकली उत्पादों की खरीद-फरोख्त से बीते साल अर्थव्यवस्था को 1 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा का नुकसान हुआ। 2019-20 में जालसाजी या नकली उत्पाद बनाने-बेचने की घटनाओं में भी 30 फीसदी इजाफा हुआ। एक रिपोर्ट के अनुसार महामारी में नियमित और संगठित आपूर्ति सेवाओं पर असर की वजह से नकली उत्पादों को पांव पसारने का ज्यादा मौका मिला है। सबसे ज्यादा प्रभावित 10 क्षेत्रों में मुद्रा, एफएमसीजी, शराब, फार्मा, दस्तावेज, कृषि, इन्फ्रा, ऑटोमोटिव, तंबाकू, लाइफस्टाइल और कपड़ा है। नकली उत्पादों ने सिर्फ लग्जरी श्रेणी में ही सेंध नहीं मारी है, बल्कि रोजमर्रा के इस्तेमाल की चीजों के बीच भी गहरी पैठ बना ली है। जीरा, सरसों तेल, घी, हेयर ऑयल, साबुन, दवाओं आदि के नकली उत्पाद धड़ल्ले से बिक रहे हैं।

बीमारी की जड़ है नकली उत्पाद

डाक्टरों की माने तो बाजार में मिलने वाले नकली खाद्य पदार्थ बीमारी का सबसे बड़ा स्रोत है। नकली वस्तुओं के सेवन से तरह-तरह की बीमारी भी हो रही मसलन गैस, एसिडिटी, कब्ज, साँस लेने में तकलीफ, पीलिया, कैंसर, ब्लड प्रेशर और मत्वपूर्ण हार्ट अटैक जैसी गंभी बीमारियों से लोग जूझ रहे हैं लेकिन इसके बावजूद प्रशासन कुम्भकर्णी नींद में सोया हुआ है। जिम्मेदार विभाग अपनी जिम्मेदारी भी गंभीरता से नहीं निभा रहे हैं। देखा गया है कि तिल्दा नेवरा, भाटापारा के आसपास प्राय: हर दूसरे घर में नकली सामानों के उत्पादन के साथ पैकेजिंग भी हो रही है और नगर पालिका प्रशासन हो या अन्य जिम्मेदार विभाग सब जांच के नाम पर चक्कर लगाकर अपनी कर्तव्य की इतिश्री कर रहे हैं। नकली प्रोडक्ट उत्पाद करने वाले लोगों द्वारा ब्रांडेड कंपनियों के नकली उत्पादों के नकली व अमानक जहरीले उत्पादों से आम जनता के स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ हो रहा है।









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