विधानसभा में भ्रामक जानकारी देना पड़ा मंहगा,यूनिवर्सिटी के रजिस्ट्रार सस्पेंड

विधानसभा में भ्रामक जानकारी देना पड़ा मंहगा,यूनिवर्सिटी के रजिस्ट्रार सस्पेंड

बिलासपुर : विधानसभा में भ्रामक जानकारी देने के आरोप में पंडित सुंदरलाल शर्मा ओपन यूनिवर्सिटी बिलासपुर के कुलसचिव डॉ. भुवन सिंह राज को राज्य शासन ने सस्पेंड कर दिया है। अकलतरा के विधायक राघवेंद्र सिंह ने यूनिवर्सिटी में हुई 8 पदों की भर्ती में गड़बड़ी का मामला विधानसभा में उठाया था।

छत्तीसगढ़ के पंडित सुंदरलाल शर्मा ओपन यूनिवर्सिटी बिलासपुर के रजिस्ट्रार डॉ. भुवन सिंह राज को उच्च शिक्षा विभाग ने सस्पेंड कर दिया है। जारीआदेश में लिखा है कि मार्च 2025 के विधानसभा सत्र के दौरान ध्यानाकर्षण सूचना का जवाब देते समय डॉ. राज ने त्रुटिपूर्ण और भ्रामक जानकारी भेज दी थी। गड़बड़ी सामने आने के बाद उच्च शिक्षा विभाग ने रजिस्ट्रार को कारण बताओ नोटिस जारी किया था, जिसका जवाब 14 अगस्त को मिला।

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जवाब से असंतुष्ट विभागीय अफसरों ने इसे अमान्य कर दिया। कर्तव्य के प्रति घोर लापरवाही और उदासीनता मानते हुए छत्तीसगढ़ सिविल सेवा आचरण नियम 1956 के उल्लंघन के आरोप में डॉ. राज को सस्पेंड कर दिया है। निलंबन अवधि में उनका मुख्यालय क्षेत्रीय अपर संचालक कार्यालय रायपुर रहेगा।

राज्य शासन से आदेश मिलते ही कुलपति प्रो. वी.के. सारस्वत ने डॉ. राज को कार्यमुक्त कर परीक्षा नियंत्रक डॉ. मनीष साव को कुलसचिव का अतिरिक्त प्रभार सौंप दिया है।

क्या है मामला

अकलतरा विधायक डॉ. राघवेंद्र सिंह ने यूनिवर्सिटी में 8 पदों की भर्ती व डीएसडब्ल्यू की उम्र में गड़बड़ी का मामला विधानसभा में उठाया था। शिकायतों के आधार पर उच्च शिक्षा विभाग ने यूनिवर्सिटी से जवाब मांगा था। विभाग ने कुलसचिव द्वारा भेजे गए जवाब को गलत और भ्रामक पाया।

यूनिवर्सिटी के पूर्व कुलपति डॉ. बंश गोपाल सिंह ने स्व वित्तीय योजना के तहत 8 पदों का सूजन किया था। इसमें सहायक क्षेत्रीय निदेशक के 3 पद, सिस्टम एनालिस्ट का 1, प्रोग्रामर का 1, छात्र कल्याण अधिकारी का 1, सहायक छात्र कल्याण अधिकारी का 1 और जनसंपर्क अधिकारी का 1 पद शामिल था। इन पदों में नियमित नियुक्ति के लिए विश्वविद्यालय द्वारा पहले जनवरी, 2023 में विज्ञापन जारी किया गया था।

एक अभ्यर्थी किरण दुबे के हाई कोर्ट में याचिका दायर करने के कारण इसे निरस्त कर फरवरी, 2023 में दूसरा विज्ञापन जारी किया गया। इसके बाद लिखित परीक्षा और इंटरव्यू हुआ। इन पदों के विज्ञापन, उम्र सीमा, लिखित परीक्षा, आरक्षण, साक्षात्कार की लिस्ट को लेकर लगातार शिकायतें पीएमओ, राज्यपाल, मुख्यमंत्री, उच्च शिक्षा मंत्री से होती रहीं। इसके आधार पर राजभवन और राज्य शासन, उच्च शिक्षा विभाग ने जांच पूरी होने तक लिफाफा खोलने से रोक लगा दी।









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