किसान नवंबर के महीनें में जरुर करें इस मोटे अनाज की खेती,मिलेगी बंपर पैदावार

किसान नवंबर के महीनें में जरुर करें इस मोटे अनाज की खेती,मिलेगी बंपर पैदावार

मोटे अनाज की खेती किसानों को कम लागत में मोटा मुनाफा कमाने में मदद कर सकती है. ऐसे में आपके लिए जौ एक बेहतरीन विकल्प साबित हो सकता है. जौ की खेती ठंडी और गर्म दोनों जलवायु में की जा सकती है. नवंबर से दिसंबर का समय इसकी बुवाई के लिए सबसे उपयुक्त माना जाता है. अगर आप इसकी सही किस्म और तकनीक अपनाएं, तो जौ की खेती से बेहतर उत्पादन और अच्छा मुनाफा मिल सकता है.

अच्छी किस्म का करें चयन
भारतीय कृषि अनुसंधान ने किसानों के लिए अच्छी किस्मों की जानकारी दी है. सिंचित क्षेत्र के लिए किसान DWRB 182, DWRB 160, DL 83, RD 2503, RD 2552 किस्मों का चयन कर सकते हैं. सिंचित देर से बुवाई के लिए RD 2508, DL 88, मंजुला, नरेन्द्र जौ-1, नरेन्द्र जौ-3 जैसी किस्मों का चयन आप कर सकते हैं.

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असिंचित समय से बुवाई करने के लिए आप RD 2508, RD 2624, RD 2660, PL 419 जैसी किस्म चुन सकते हैं. इसके अलावा अगर आप क्षारीय क्षेत्र में बुवाई करना चाहते हैं तो RD 2552, DL 88, NDB 1173, नरेन्द्र जौ-1 किस्म आपके लिए उचित हो सकती है.

उचित किस्म का चयन करने के लिए आप DWRB 223 उच्च गुणवत्ता वाली जौ का इस्तेमाल भी कर सकते हैं, इस किस्म की जानकारी इंडियन काउंसिल ऑफ एग्रीकल्चरल रिसर्च ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर शेयर की है. यह किस्म छिलका रहित, रोग-प्रतिरोधी और उच्च उत्पादन देने वाली बताई गई है.

ऐसे करें बुवाई
आप जौ की बुवाई के लिए प्रति हेक्टेयर करीब 75 किलो बीज का इस्तेमाल कर सकते हैं. बुवाई के लिए आप पंक्ति से पंक्ति की दूरी 20 सेंटीमीटर और बीज की गहराई 5 से 6 सेंटीमीटर रख सकते हैं. जौ की खेती में पोषक तत्वों के लिए आप प्रति हेक्टेयर खेत में नाइट्रोजन, फास्फोरस और पौटेशियम उर्वरक को लगभग 60:30:15 किलो की दर से डाल सकते हैं.

आप फास्फोरस और पौटाश की पूरी मात्रा बुवाई के समय ही मूल रूप से मिला सकते हैं और नाइट्रोजन की आधी मात्रा को बुवाई के समय डालना और आधी मात्रा  सिंचाई से पहले डालना आपके लिए फायदेमंद हो सकता है. आप मिट्टी की नमी को जानकर करीब 25 से 30 दिन बाद पहली सिंचाई कर सकते हैं.









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