छत्तीसगढ़ के सरगुजा जिले में इन दिनों सरसों की फसल लहलहा रही है. रबी सीजन में सरसों की खेती के लिए इस बार पर्याप्त बारिश और अनुकूल तापमान मिला है. कृषि विशेषज्ञों का मानना है कि इस बार किसानों को बेहतर उत्पादन के साथ अच्छा मुनाफा मिलने की संभावना है. सरसों एक प्रमुख तिलहन फसल है, जिसका उपयोग तेल निकालने के साथ-साथ इसकी पत्तियों को सब्जी के रूप में भी किया जाता है. ऐसे में सरसों की खेती से किसान कई तरह से लाभ कमा सकते हैं, देखिए ये रिपोर्ट…
सरसों प्रमुख तिलहन फसल
कृषि एक्सपर्ट संजय यादव ने बताया कि सरसों एक प्रमुख तिलहन फसल है, जिसका मुख्य उपयोग तेल निकालने के लिए किया जाता है. यह रबी सीजन की फसल है, जिसकी बुवाई सितंबर के प्रथम पखवाड़े से अक्टूबर तक की जाती है. बुवाई के समय 30 से 32 डिग्री सेल्सियस और फूल आने के दौरान 15 से 20 डिग्री सेल्सियस तापमान फसल के लिए आदर्श माना जाता है. सरसों का तेल, खली और साग सभी उपयोगी उत्पाद हैं, जिनसे किसानों को अतिरिक्त आमदनी मिलती है.
भूमि और बुवाई की तैयारी
कृषि एक्सपर्ट संजय यादव बताते हैं कि खेती से पहले भूमि की गहरी जुताई कर उसे भुरभुरी बनाना जरूरी होता है. किसान इसकी बुवाई दो तरीकों से करते हैं, कतार बोनी और छींटा बोनी. कतार बोनी में कतार से कतार की दूरी 40-45 सेंटीमीटर और पौधे से पौधे की दूरी 15-20 सेंटीमीटर रखनी चाहिए. छींटा बोनी में प्रति एकड़ लगभग 3 किलोग्राम बीज की जरूरत होती है, जबकि कतार बोनी में 1 से 1.5 किलोग्राम बीज पर्याप्त होता है.
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जैविक और रासायनिक दोनों तरीकों से लाभ
संजय यादव ने बताया कि जैविक खेती के लिए प्रति एकड़ 2-3 टन वर्मी कम्पोस्ट डालना लाभदायक माना गया है. रासायनिक खाद में 50 किलो नाइट्रोजन, 100 किलो फास्फोरस और 50 किलो पोटाश प्रति एकड़ की दर से डालना चाहिए. इसके अलावा, पौधों की उम्र जब 30-35 दिन हो, तब प्रति एकड़ 7-8 किलो सल्फर डालने से तेल की मात्रा बढ़ जाती है.
सिंचाई और उत्पादन
कृषि एक्सपर्ट के मुताबिक सिंचित परिस्थितियों में सरसों की फसल बेहतर उत्पादन देती है. खेतों में 4-5 मीटर लंबी क्यारियां बनाकर दो से तीन बार सिंचाई करने से उपज में उल्लेखनीय वृद्धि होती है. इस वर्ष किसानों को पर्याप्त नमी और मौसम की अनुकूलता के कारण अच्छी पैदावार की उम्मीद है.
प्रमुख किस्में और संभावित उत्पादन
कृषि एक्सपर्ट ने बताया कि सरसों की प्रमुख किस्मों में पायनियर, अडवांटा और श्रीराम शामिल हैं. इन किस्मों से प्रति हेक्टेयर लगभग 18 से 22 क्विंटल तक उत्पादन प्राप्त किया जा सकता है. कृषि विशेषज्ञों का कहना है कि यह उत्पादन स्तर इस साल और भी बढ़ सकता है.
किसानों को बेहतर मुनाफे की उम्मीद
फसल की स्थिति देखकर किसान उत्साहित हैं. इस वर्ष बाजार में सरसों के दाम भी बेहतर रहने की संभावना जताई जा रही है. अच्छी पैदावार और मजबूत भाव से किसानों को रबी सीजन में बेहतर मुनाफे की उम्मीद है.



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