आज रखा जाएगा उत्पन्ना एकादशी का व्रत,जानें पूजा विधि 

आज रखा जाएगा उत्पन्ना एकादशी का व्रत,जानें पूजा विधि 

 उत्पन्ना एकादशी का हिंदू धर्म में बहुत महत्व है। यह वह पावन तिथि है जब स्वयं देवी एकादशी प्रकट हुई थीं। उत्पन्ना एकादशी हर साल मार्गशीर्ष महीने के कृष्ण पक्ष की एकादशी को मनाई जाती है। यह एकादशी बाकी सभी एकादशी के व्रत का आरंभ मानी जाती है, क्योंकि इसी दिन एकादशी माता की उत्पत्ति हुई थी। हिंदू पंचांग के अनुसार, इस साल उत्पन्ना एकादशी का व्रत आज यानी 15 नवंबर को रखा जा रहा है। आइए यहां इस आर्टिकल में इससे जुड़ी प्रमुख बातों को जानते हैं, जो इस प्रकार हैं -

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पौराणिक कथाओं के अनुसार, इस दिन एकादशी नामक देवी का जन्म भगवान विष्णु के शरीर से हुआ था। उन्होंने मुर नामक भयंकर राक्षस का वध किया था, जिसने भगवान विष्णु को योगनिद्रा के दौरान हमला करने की कोशिश की थी। उनके इस शक्ति से खुश होकर भगवान विष्णु ने उन्हें एकादशी नाम दिया और वरदान दिया कि जो भी व्यक्ति इस तिथि पर श्रद्धापूर्वक व्रत रखेगा, उसके सभी पाप नष्ट हो जाएंगे और उसे मोक्ष की प्राप्ति होगी।

श्री हरि के प्रिय भोग - पंचामृत, पंजीरी, पीली मिठाई और पीले फल आदि।

पूजा की सरल विधि 

सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और पीले रंग के कपड़े पहनें।

इसके बाद हाथ में जल, फूल और अक्षत लेकर व्रत का संकल्प लें।

पूजा स्थल पर भगवान विष्णु की प्रतिमा स्थापित करें।

उन्हें पंचामृत से स्नान कराएं।

भगवान को पीले रंग के वस्त्र, पीले पुष्प और चंदन अर्पित करें।

भोग में तुलसी दल जरूर शामिल करें।

एकादशी व्रत की कथा पढ़ें या सुनें।

अंत में भगवान विष्णु और एकादशी माता की आरती करें।

गरीबों और ब्राह्मणों को अन्न, वस्त्र या धन का दान करें।

द्वादशी तिथि के दिन सुबह स्नान के बाद ब्राह्मणों को भोजन कराकर या उन्हें दान देकर शुभ मुहूर्त में व्रत खोलें।

श्री हरि पूजन मंत्र 

ॐ नमो भगवते वासुदेवाय।।

 









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