हर किसान अपना उत्पादन बढ़ाना चाहता है. इसके लिए वो बाजार में उपलब्ध कई तरह के रासायनिक खादों का इस्तेमाल करते हैं, लेकिन कम ही किसान जानते हैं कि उनकी फसल के लिए कौन-सा उर्वरक सबसे अधिक असरदार, सस्ता और उपयोगी साबित हो सकता है. DAP, TSP, SSP और NPK का अंतर जानना चाहा. इसकी मदद से किसान अपनी फसल की गुणवत्ता और उत्पादन क्षमता दोनों में ही चमत्कारिक बदलाव ला सकते हैं. श्री मुरली मनोहर टाउन स्नातकोत्तर महाविद्यालय बलिया के मृदा विज्ञान और कृषि रसायन विभाग के एचओडी प्रो. अशोक कुमार सिंह के अनुसार, डीएपी (डाई अमोनियम फॉस्फेट) एक प्रमुख मिश्रित उर्वरक है, जिसमें 18% नाइट्रोजन और 46% फास्फोरस पाया जाता है. नाइट्रोजन अमोनियम के रूप में होने के कारण पौधों को जल्दी मिल जाता है, जबकि फास्फोरस पौधों की जड़ों और शुरुआती विकास में बहुत उपयोगी है. यह उर्वरक किसान के बीच बहुत अधिक लोकप्रिय है.
जानें सिंगल सुपर फॉस्फेट
प्रो. अशोक बताते हैं कि दूसरा महत्त्वपूर्ण उर्वरक SSP (सिंगल सुपर फॉस्फेट) है, जिसमें 16% घुलनशील फास्फोरस और करीब 12% गंधक होती है. इसमें कैल्शियम भी पाया जाता है. यह उर्वरक उन फसलों के लिए लाभकारी है, जिन्हें गंधक की भी आवश्यकता होती है, जैसे तिलहन और कुछ सब्जियों की खेती आदि. इन दिनों किसानों के बीच NPK उर्वरक (नाइट्रोजन, फास्फोरस और पोटाश) काफी लोकप्रिय हुआ है. यह अलग-अलग ग्रेड में आता हैं, जैसे 15:15:15. विभिन्न कंपनियां जैसे इफ्को और इंडोफिल इसके कई ग्रेड बाजार में लाती हैं. एनपीके का उपयोग करने से पौधों को एक साथ तीनों महत्त्वपूर्ण पोषक तत्व मिल सकते हैं.
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क्या है ट्रिपल सुपर फॉस्फेट
अब नंबर आता हैं, TSP (ट्रिपल सुपर फॉस्फेट) का, जो फास्फोरस की दृष्टिकोण से सबसे अच्छा माना जाता है. इसमें लगभग 48% फास्फोरस पाया जाता है. यह खासकर जड़ वाली और व्यावसायिक फसल जैसे कपास, जूट, प्याज, आलू, लहसुन और गन्ना आदि के लिए अत्यधिक असरदार माना जाता है. हालांकि, यह उर्वरक बाजार में कम उपलब्ध रहता है. प्रो. अशोक के अनुसार, किसानों को डीएपी या एनपीके का प्रयोग प्राथमिकता से करना चाहिए. यदि किसान डीएपी का उपयोग कर रहे हों, तो साथ में पोटाश भी अवश्य डालें, ताकि फसल को सभी आवश्यक पोषक तत्व संतुलित मात्रा में मिल सकें.



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