आचार संहिता के बीच पंचायत सचिवों की मनमानी का गंभीर मामला, चार महीने पहले भेजा था नोटिस, अब तक नहीं हुई कार्रवाई…

आचार संहिता के बीच पंचायत सचिवों की मनमानी का गंभीर मामला, चार महीने पहले भेजा था नोटिस, अब तक नहीं हुई कार्रवाई…

तखतपुर :  जनपद क्षेत्र में त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव आचार संहिता के बीच पंचायत सचिवों की मनमानी का गंभीर मामला सामने आया है. आचार संहिता लागू होने के बाद भी विभिन्न पंचायतों के तत्कालीन सचिवों ने 15वें वित्त आयोग मद से 41 लाख से अधिक की राशि का आहरण कर लिया. नियमों के इस खुले उल्लंघन पर जुलाई में 21 सचिवों को नोटिस तो जारी किया गया, लेकिन चार महीने बीत जाने के बाद भी किसी पर कोई कार्रवाई नहीं हुई है.

जिला पंचायत CEO द्वारा जारी शो-कॉज़ नोटिस में स्पष्ट लिखा गया था कि 11 फरवरी को आचार संहिता लगने के बाद राशि का आहरण किया जाना छत्तीसगढ़ पंचायत सेवा नियम 1998 का उल्लंघन है. सचिवों को तीन दिन के भीतर जवाब प्रस्तुत करने का निर्देश दिया गया था. सचिवों ने जवाब भेज दिया, लेकिन जुलाई से नवंबर तक मामला सिर्फ फाइलों में धूल फांकता रहा है.

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सचिवों का दावा— आदेश नहीं मिला था

जब इस मामले में पंचायत सचिवों से बातचीत की गई तो उनका कहना था कि आचार संहिता लागू होने के बाद राशि आहरण नहीं करने का कोई आदेश नहीं मिला था,इसलिए भुगतान लिया गया हैं. दिलचस्प बात यह है कि यही सचिव ग्रामीणों की समस्याओं के समाधान में आचार संहिता का हवाला देकर काम टालते रहे.

CEO का पक्ष — तकनीकी मामला, रायपुर से मांगा मार्गदर्शन”

जिला पंचायत CEO संदीप कुमार अग्रवाल ने बताया कि सभी सचिवों के जवाब मिल चुके हैं. उनका कहना है कि बिल पहले ही प्रस्तुत किया जा चुका था और राशि दो दिन बाद खाते में परिलक्षित हुई. यह तकनीकी मामला है, इसलिए रायपुर संचालनालय से मार्गदर्शन मांगा गया है. निर्देश मिलते ही कार्रवाई की जाएगी.

इन पंचायतों के सचिवों ने आचार संहिता के दौरान निकाली इतनी राशि :

पंचायत राशि (₹)
अमसेना 2,69,511
अरईबंद 2,22,000
बहतराई 75,600
भाड़म 7,74,000
भिलौनी 1,00,500
भुन्डा 1,30,674
ढनढन 1,59,500
गमजू 1,38,496
घोरामार 2,02,336
जोंकी 1,62,819
खपरी 16,30,000
खरकेना 1,81,000
लखासार 1,48,000
लिदरी 1,20,000
मरहीकापा 80,337
निरतु 85,000
पेंड्री 1,30,095
रानीडेरा 2,10,000
सफरीभाटा 2,60,000
सलहैया 3,54,130
ठाकुरकापा 1,36,392
कुल राशि 41 लाख से अधिक

मुख्य सवाल — कार्रवाई कब?

चार महीने बाद भी कार्रवाई न होने से सवाल उठ रहे हैं कि आखिर नियमों के इस स्पष्ट उल्लंघन पर सम्बंधित अधिकारियों में कार्रवाई की इच्छाशक्ति क्यों नहीं दिख रही? क्या जवाब आने के नाम पर फाइलें दबाई जा रही हैं, या फिर मामले में किसी बड़े निर्णय का इंतजार है?









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