चना भारत में सबसे अधिक पसंद की जाने वाली दलहनों में से एक है, जिसकी मांग पूरे 12 महीनों तक बनी रहती है। घरों में बनने वाले अनेक व्यंजनों- जैसे बेसन के पकौड़े, हलवा, मिठाइयां, नमकीन और कई तरह के पारंपरिक व्यंजन में चने और चने के बेसन का उपयोग किया जाता है। खाद्य प्रसंस्करण उद्योगों में भी चने की भारी खपत होती है, जिसके कारण इसका बाजार हमेशा सक्रिय रहता है। ऐसे में किसान भाई यदि रबी के मौसम में ICAR द्वारा विकसित चने की उन्नत किस्मों- बी जी 3022 काबुली, बी जी 3043 देसी और पूसा चना 20211 देसी (पूसा मानव) की खेती करते हैं, तो उन्हें कम लागत में अधिक उत्पादन मिलता है और बाजार में अच्छा भाव प्राप्त करके बेहतर लाभ कमाने का मौका मिलता है।
चने की टॉप 3 हाई-यील्ड किस्में
1. बी जी 3022 काबुली
यह काबुली चने की एक श्रेष्ठ किस्म है जो सिंचित क्षेत्रों के लिए खासतौर पर उपयुक्त है। काबुली चने का दाना सामान्यतः बड़ा, सफेद और आकर्षक होता है, जिससे बाजार में इसकी मांग और कीमत दोनों अधिक होती हैं। इसलिए यह किस्म किसानों को अतिरिक्त आय दिलाने में सक्षम है।
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मुख्य विशेषताएं
परिपक्वता अवधि: लगभग 145 दिन
उपज क्षमता: 18-30 क्विंटल प्रति हेक्टेयर
उपयुक्त क्षेत्र: उत्तर भारत, मध्य भारत और राजस्थान के अर्ध-शुष्क क्षेत्र
बड़े और सफेद दाने होने की वजह से बाजार में उच्च मांग और बेहतर भाव
2. बी जी 3043 देसी
बी जी 3043 देसी चने की एक उच्च गुणवत्ता वाली किस्म है, जिसे विशेष रूप से कम लागत वाली खेती के लिए विकसित किया गया है। इसकी खेती में कम खाद, कम सिंचाई और कम मेहनत की आवश्यकता होती है, जिससे यह छोटे और सीमांत किसानों के लिए अत्यंत फायदेमंद विकल्प बन जाती है।
मुख्य विशेषताएं
परिपक्वता अवधि: लगभग 130 दिन (तेजी से पकने वाली किस्म)
उपज क्षमता: 16–25 क्विंटल प्रति हेक्टेयर
रोग प्रतिरोध: जड़ सड़न, सूखा रोग और पत्ती धब्बा रोग से सुरक्षा
सीमित संसाधनों में भी बेहतर उत्पादन देने वाली किस्म
3. पूसा चना 20211 देसी (पूसा मानव)
यह ICAR द्वारा विकसित नई पीढ़ी की देसी चने की उन्नत किस्मों में से एक है। इसे बदलते जलवायु प्रभाव जैसे तापमान में वृद्धि और अनियमित वर्षा को ध्यान में रखकर तैयार किया गया है, ताकि किसान हर परिस्थिति में बेहतर उपज प्राप्त कर सकें।
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मुख्य विशेषताएं
परिपक्वता अवधि: 108 दिन (सबसे जल्दी पकने वाली किस्मों में से एक)
उपज क्षमता: 23-32 क्विंटल प्रति हेक्टेयर
उपयुक्त क्षेत्र: गुजरात, महाराष्ट्र और मध्य प्रदेश
खतरनाक विल्ट रोग के प्रति उच्च प्रतिरोध क्षमता
किसानों के लिए फायदे
ये सभी किस्में रोगों के प्रति उच्च सहनशीलता वाली हैं।
कम सिंचाई में भी उत्तम उत्पादन देती हैं।
बाजार में बेहतर भाव मिलने से किसान अधिक लाभ कमा सकते हैं।
छोटे और सीमांत किसान भी आसानी से अपनी उपज बढ़ाकर आर्थिक मजबूती प्राप्त कर सकते हैं।



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