किरंदुल, दंतेवाड़ा : रेलवे द्वारा किरंदुल क्षेत्र से हर वर्ष अरबों रुपये का राजस्व अर्जित किए जाने के बावजूद, नगर में आज तक कोई ठोस सीएसआर (कॉरपोरेट सामाजिक उत्तरदायित्व) कार्य नहीं हुआ है। यह सवाल अब किरंदुल की जनता को झकझोर रहा है—क्या जल, जंगल और ज़मीन के बदले इस नगर को कभी कोई सौगात मिलेगी?
किरंदुल रेलवे क्षेत्र में स्थित ऐतिहासिक श्री गणेश मंदिर, जो माँ दंतेश्वरी, श्री अयप्पा स्वामी और श्री साईं बाबा की पवित्र मूर्तियों का भी धाम है, आज जर्जर हालत में है। मानसून में छत से रिसता पानी, टूटती दीवारें और उपेक्षित परिसर, इस पवित्र स्थल की दुर्दशा को दर्शाते हैं।
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यह मंदिर केवल एक धार्मिक स्थल नहीं, बल्कि बस्तर की सांस्कृतिक और आध्यात्मिक पहचान है। यहाँ हर वर्ष गणेश चतुर्थी, अयप्पा पूजा और लोक पर्वों के आयोजन होते हैं, जिनमें हजारों श्रद्धालु भाग लेते हैं। यह स्थान सामाजिक एकता और सांस्कृतिक गौरव का प्रतीक है।
प्रवेश कुमार जोशी, छत्तीसगढ़ नागरिक सुरक्षा फाउंडेशन के जिला-प्रभारी ने प्रधानमंत्री कार्यालय को भेजे गए एक औपचारिक पत्र में मांग की है कि,रेलवे विभाग मंदिर का तत्काल निरीक्षण करे और पुनर्निर्माण की दिशा में ठोस कदम उठाए। मंदिर के जीर्णोद्धार के लिए रेलवे की सीएसआर योजनाओं या अन्य सरकारी विकास योजनाओं के तहत कार्य शुरू किया जाए। एक मास्टर प्लान के अंतर्गत मंदिर को श्री कनिपक्कम गणेश मंदिर जैसे मॉडल पर विकसित किया जाए।
जनता का सीधा सवाल है—क्या रेलवे इस पवित्र स्थल को और अधिक उपेक्षित देखना चाहती है? क्या रेलवे अपने राजस्व का एक अंश भी इस नगर की सांस्कृतिक धरोहर के लिए नहीं दे सकती?
अब देखना यह है कि क्या रेलवे जनता की इस भावनात्मक और न्यायोचित मांग को मानेगी, या फिर अपनी ही दुनिया में मस्त रहेगी।



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