नई दिल्ली : पाकिस्तान ने अपने नए 27वें संवैधानिक संशोधन पर संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार प्रमुख वोल्कर टुर्क की आलोचना को सख्त शब्दों में खारिज कर दिया है। सरकार का कहना है कि यह उनका सार्वभौमिक अधिकार है और UN अधिकारी को राजनीतिक पूर्वाग्रह वाली टिप्पणियों से बचना चाहिए।
पाकिस्तान ने UN प्रमुख की आलोचना ठुकराई
पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय (FO) ने रविवार को कहा कि संविधान में किसी भी तरह का बदलाव केवल चुने हुए सांसदों का अधिकार है। मंत्रालय ने कहा कि पाकिस्तान मानवाधिकारों और कानून के राज को पूरी तरह मानता है, लेकिन UN प्रमुख की टिप्पणी जमीनी हकीकत नहीं दिखाती।FO ने यह भी कहा कि वे मानवाधिकार प्रमुख के काम का सम्मान करते हैं, लेकिन उन्हें पाकिस्तान के संसद के फैसलों का सम्मान करना चाहिए और गलतफहमी या पक्षपात वाली बातें नहीं करनी चाहिए।
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UN प्रमुख ने क्या कहा था?
शुक्रवार को वोल्कर टुर्क ने पाकिस्तान में इस संशोधन को जल्दबाजी में किया गया कदम बताया था। उन्होंने कहा कि यह बदलाव कानूनी विशेषज्ञों और सिविल सोसायटी से पर्याप्त चर्चा किए बिना किया गया, जिससे न्यायपालिका की स्वतंत्रता और सैन्य जवाबदेही पर सवाल उठ सकते हैं।
पड़ोसी देश में यह संशोधन शुरू से ही बड़ी राजनीतिक बहस का विषय बना हुआ है। 12 नवंबर को संसद की संयुक्त समिति ने इस बिल को मंजूरी दी थी, जिसके बाद विपक्ष ने इसे सुप्रीम कोर्ट के लिए खतरा बताया।
27वें संशोधन में क्या बदला?
यह संशोधन संविधान के अनुच्छेद 243 में बड़ा बदलाव करता है। इसमें ज्वाइंट चीफ ऑफ स्टाफ कमेटी (CJCSC) का पद खत्म कर दिया गया है और उसकी जगह नया पदचीफ ऑफ डिफेंस फोर्सेज (CDF)बनाया गया है।
इसके साथ ही एक फेडरल कॉन्स्टिट्यूशनल कोर्ट बनाने और सुप्रीम कोर्ट की कुछ शक्तियां कम करने का प्रस्ताव भी शामिल है। पहले CDF होंगेपाकिस्तान सेना प्रमुख असीम मुनीर, जिन्हें भारत के साथ मई में हुए तनाव के बाद फाइव-स्टार फील्ड मार्शल रैंक दिया गया था।
पाकिस्तानी अखबार डॉन के मुताबिक, सरकार ने अभी तक औपचारिक रूप से CDF की नियुक्ति का नोटिफिकेशन जारी नहीं किया है, जबकि CJCSC का पद गुरुवार को आधिकारिक रूप से खत्म हो गया।



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