सर्दी के मौसम में गेहूं की बुवाई का समय शुरू हो चुका है और किसानों के बीच खेतों की तैयारी जोरों पर है. विशेषज्ञों का कहना है कि अगर किसान बुवाई से पहले सिर्फ 10 घंटे की एक विशेष तैयारी कर लें, तो उनकी फसल सुनहरी और अधिक उत्पादक हो सकती है. सही तरीके से किया गया बीजोपचार न केवल फसल को रोगों से बचाता है, बल्कि उपज में भी 15 से 20 प्रतिशत तक की वृद्धि कर सकता है.
बीजोपचार क्यों है जरूरी
कृषि वैज्ञानिकों के अनुसार बीजोपचार यानी बुवाई से पहले बीजों को फफूंदनाशी दवाओं या जैविक घोल से उपचारित करना आवश्यक है. इससे बीजों में मौजूद छिपे रोगाणु नष्ट हो जाते हैं और अंकुरण की क्षमता बढ़ जाती है. इससे खेत में पौधे एक समान रूप से विकसित होते हैं और फसल मजबूत बनती है. यह प्रक्रिया भविष्य में फसल पर रोगों के हमले की संभावना को भी कम करती है, जिससे उत्पादन लागत घटती है और मुनाफा बढ़ता है.
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विशेषज्ञों की राय
पेस्टीसाइड एक्सपर्ट अमित सिंह ने बताया कि गेहूं की बुवाई से पहले बीजोपचार करना हर किसान के लिए आवश्यक कदम होना चाहिए. बाजार में ट्रीट और रैक्सिल जैसी प्रभावी दवाएं उपलब्ध हैं जो हर प्रकार की गेहूं की वैरायटी में कारगर साबित होती हैं. उन्होंने कहा कि किसान इन दवाओं से बीजों को 10 से 12 घंटे तक उपचारित करें ताकि फफूंद या अन्य रोगाणुओं का असर पूरी तरह समाप्त हो जाए.
बढ़ेगी पैदावार और मुनाफा
बीजोपचार की इस प्रक्रिया से न केवल फसल रोगमुक्त रहती है बल्कि खेत की उत्पादकता भी बढ़ती है. विशेषज्ञों के अनुसार जिन किसानों ने बीजोपचार अपनाया है उनके खेतों में अंकुरण दर और फसल की गुणवत्ता दोनों में उल्लेखनीय सुधार देखा गया है. इस छोटे से कदम से किसान कम लागत में अधिक लाभ प्राप्त कर सकते हैं.



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