रायपुर: स्वास्थ्य बीमा पॉ लिसी होने के बावजूद इलाज का खर्च नहीं चुकाना कंपनी को भारी पड़ गया। बीमा कंपनी को उपभोक्ता आयोग से बड़ा झटका लगा है। राज्य उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग ने पीड़ित की याचिका पर सुनवाई करते हुए यह फैसला दिया है।
आयोग ने शहर निवासी अशोक पागरिया की याचिका पर फैसला सुनाते हुए ओरिएंटल इंश्योरेंस कंपनी को 10 लाख रुपये छह प्रतिशत वार्षिक ब्याज सहित अदा करने का आदेश दिया है। साथ ही मानसिक पीड़ा के लिए 25 हजार अलग से देने के निर्देश दिए हैं।
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यह है पूरा मामला
परिवादी पागरिया वर्ष 2014 से ओरिएंटल इंश्योरेंस की हेल्थ पॉलिसी ले रहे थे और हर वर्ष नवीनीकरण भी कराते रहे। समय के साथ कवरेज बढ़ाकर 10 लाख रुपये कर दिया गया था। 21 नवंबर 2018 को अचानक तबीयत बिगड़ने पर पहले उन्हें एमएमआइ अस्पताल में भर्ती किया गया। हालत गंभीर होने पर उन्हें मुंबई के बांबे हास्पिटल रेफर किया गया, जहां बाईपास सर्जरी करनी पड़ी। इलाज पर लगभग 12 लाख रुपये खर्च हुए।
बीमा कंपनी ने क्लेम देने से किया इनकार
दावा पेश करने पर बीमा कंपनी ने बीमारी की प्रकृति और पालिसी की शर्तों का हवाला देते हुए क्लेम देने से साफ मना कर दिया। इससे परेशान होकर परिवादी ने उपभोक्ता आयोग का दरवाजा खटखटाया। आयोग के अध्यक्ष डकेश्वर प्रसाद शर्मा, सदस्य निरुपमा प्रधान और अनिल अग्निहोत्री की पीठ ने यह माना कि बीमा कंपनी ने सेवा में गंभीर कमी बरती है।



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