बलरामपुर : जनपद पंचायत राजपुर के ग्राम पंचायत कोदौरा में एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है। ग्रामीणों का आरोप है कि ग्राम के ही निवासी विजय कुमार गुप्ता ने राजस्व विभाग के कुछ अधिकारियों-कर्मचारियों की मिलीभगत से शासकीय भूमि सहित किसानों की लगभग 70 एकड़ निजी भूमि अपने और अपने परिवार के नाम दर्ज करा ली।
हुआ खुलासा, भड़का किसान
घटना का खुलासा तब हुआ जब किसान धान बेचने के लिए धन केंद्र पहुंचे। वहां दस्तावेज़ चेक होने पर किसानों को पता चला कि जिस जमीन पर वे पीढ़ियों से खेती कर रहे थे, वह अब रिकॉर्ड में किसी और के नाम चढ़ चुकी है। यह जानकर किसान भड़क उठे।लगभग 150 किसानों ने तहसीलदार को ज्ञापन देकर तत्काल कार्रवाई की मांग की। किसानों ने आरोप लगाया कि यह पूरा मामला राजस्व विभाग के भीतर भ्रष्ट तत्वों और आरोपी की मिलीभगत से संभव हुआ है।
तहसीलदार पहुंचे मौके पर, जांच का भरोसा
किसानों के विरोध के बाद तहसीलदार मौके पर पहुंचे। ग्रामीणों ने उन्हें लिखित शिकायत सौंपते हुए आरोपी पर कठोर कार्रवाई की मांग की। तहसीलदार ने किसानों को आश्वस्त किया कि एक सप्ताह के भीतर जांच पूरी कर रिपोर्ट प्रस्तुत की जाएगी। साथ ही जांच पूरी होने तक आरोपी विजय कुमार गुप्ता की धान खरीदी पर प्रतिबंध लगाने के आदेश जारी किए गए।
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समिति प्रबंधन पर सवाल
जानकारी में सामने आया कि विजय कुमार गुप्ता के नाम पर कोई रकबा दर्ज नहीं है, फिर भी धन समिति में उसके नाम पर लगातार धान खरीदी होती रही। इससे समिति प्रबंधन पर गंभीर सवाल उठ खड़े हुए हैं।
यह आरोप भी लगाया जा रहा है कि समिति प्रबंधन की मिलीभगत से धान का अवैध व्यापार फल-फूल रहा है। प्रदेश की सीमावर्ती स्थिति होने के कारण पड़ोसी राज्यों से धान के प्रवेश को लेकर जिला प्रशासन लगातार कार्रवाई कर रहा है, लेकिन धान तस्करी रुकने का नाम नहीं ले रही।
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सिस्टम की चूक या संगठित मिलिभगत?
धान खरीदी शुरू होने के बाद से जिले में लगातार कार्रवाई हो रही है, फिर भी गड़बड़ियां उजागर हो रही हैं। ग्रामीणों का कहना है कि “यदि प्रशासन की नजर में आए तो तस्कर पकड़े जाते हैं, लेकिन अगर बच गए तो उनके ‘बल्ले-बल्ले’—ऐसा कैसे संभव है?”
किसानों का मानना है कि घर की चौकी मजबूत किए बिना बाहर की तस्करी रोकना कठिन है। इसलिए समिति प्रबंधन और राजस्व विभाग की भूमिका पर कठोर समीक्षा और उच्च स्तरीय जांच की मांग उठ रही है।

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