हिंदू धर्म में संकष्टी चतुर्थी का व्रत भगवान गणेश को समर्पित है, जो हर महीने कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को मनाया जाता है। इस दिन भगवान गणेश की विधि विधान से पूजा की जाती है। हिंदू पंचाग के अनुसार, इस बार यह उपवास 16 अप्रैल यानी आज के दिन रखा जा रहा है। कहते हैं कि इस दिन बप्पा की उपासना करने से मनचाहा वरदान मिलता है। इसके साथ ही जीवन में शुभता आती है, तो चलिए इस दिन से जुड़ी प्रमुख बातों को जानते हैं।
ये भी पढ़े : मुखिया के मुखारी –हमला झन देबे भगवान,अईसन घोटालेबाज नेता झन देबे
संकष्टी चतुर्थी पूजा विधि
सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और लाल रंग के कपड़े पहनें।
पूजा स्थल को साफ करें और भगवान गणेश की मूर्ति स्थापित करें।
भगवान गणेश को लाल फूल, दूर्वा, सिंदूर, और मोदक अर्पित करें।
गणेश मंत्रों का जाप करें और गणेश चालीसा का पाठ करें।
भगवान गणेश की आरती करें और उन्हें भोग लगाएं।
शाम के समय चंद्रमा को अर्घ्य दें और अगले दिन व्रत का पारण करें।
भोग
भगवान गणेश को मोदक सबसे प्रिय है, इसलिए उन्हें मोदक का भोग अवश्य लगाएं।
उन्हें लड्डू, फल, और मिठाई का भोग भी लगा सकते हैं।
इसके अलावा तिल और गुड से बनी चीजों का भोग भी बप्पा को लगाया जा सकता है।
पूजन मंत्र
ॐ गं गणपतये नमः॥
वक्रतुण्ड महाकाय सूर्यकोटि समप्रभ।
निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्वकार्येषु सर्वदा॥
पारण समय
संकष्टी चतुर्थी व्रत का पारण चंद्रमा के उदय के बाद किया जाता है।
इस दिन चंद्रोदय रात 9 बजकर 53 मिनट पर होगा।
विकट संकष्टी चतुर्थी 2025 पूजा मुहूर्त
इस दिन का पूजा मुहूर्त सुबह 05 बजकर 55 मिनट से सुबह 9 बजकर 08 मिनट तक का है।
संकष्टी चतुर्थी व्रत के लाभ
संकष्टी चतुर्थी का व्रत रखने से सभी संकट दूर होते हैं और मनोकामनाएं पूरी होती हैं।
यह व्रत व्यक्ति को बुद्धि, ज्ञान, और समृद्धि प्रदान करता है।
इस व्रत को करने से घर में सुख शांति बानी रहती है।
ये भी पढ़े : छत्तीसगढ़ सरकार की नक्सलवाद के बाद अब पत्थलगड़ी ने बढ़ाई चिंता
Comments